गुरू और शिष्य के संबंधों को दाग-दाग करने की घटनाएं जब तक होती रहती है, लेकिन मप्र में ऐसी घटनाएं बढ़ने से शिक्षा स्तर में गिरावट आना स्वाभाविक है। वैसे भी मप्र का शैक्षणिक स्तर लगातार घट रहा है और अभी भी हम अन्य राज्यों से लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अगर गुरू-शिष्य संबंध तार-तार होंगे तो फिर शिक्षा का माहौल और भी खराब होगा। हाल ही में 03 और 04 फरवरी को विदिशा जिले के समसाबाद के निकट हायर सेकेण्ड्री स्कूल बड़खेरा जागीर में पदस्थ संविदा शिक्षक शीतल चौधरी ने उसी विद्यालय में अध्ययनरत 11वीं कक्षा की छात्रा को बहला-फुसला कर भगा ले गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में भारी आक्रोश व्याप्त है और गांव के लोगों ने शिक्षक और विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य अरूण चौरसिया के खिलाफ धारा 363 और 366 के तहत प्रकरण दर्ज करा दिया है। इस मामले में गांव वालों ने गुस्से में आकर स्कूल में ताला डाल दिया है इसके बाद जब शिक्षा विभाग के अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे तब तक ग्रामीणजनों का गुस्सा बढ़ चुका था। ग्रामीणजनों का कहना है कि हमारी लाड़लियों को इस तरह से बहला-फुसलाकर भगाया जायेगा तो फिर कैसे स्कूलों में पढ़ाने के लिए बच्चियों को पहुंचाया जायेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार बेटी बचाओ अभियान और लाड़ली लक्ष्मी अभियान चलाये हुए हैं। अगर इस तरह से बेटियों के साथ गड़बड़ होगा तो निश्चित रूप से मुख्यमंत्री के मिशन को धक्का लगेगा।
गांव में नहीं होगा म़त्यु भोज:
अमूमन आज भी कई गांवों और शहरों में म़त्यु भोज की परंपरा कायम है, लेकिन अब धीरे-धीरे इस परंपरा के खिलाफ लोग खड़े हो गये हैं और म़त्यु भोज खत्म किये जाने लगे हैं। हाल ही पूर्व सांसद बाल कवि बैरागी की पत्नी का निधन होने पर उन्होंने अपने पैत़क गांव मंदसौर जिले में म़त्यु भोज नहीं दिया था। इसी कडी में इंदौर से लगे गांव रामूखेड़ी में भी गांव वालों ने तय किया है कि अब वह कोई भी म़त्यु भोज नहीं देंगे। यह एक अनुकरणीय पहल है और इसको आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
'' जय हो मप्र की''
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