प्रेम हमेशा अंधा होता है। इसकी कोई उम्र नहीं होती है। जब आंखें आपस में टकरा जाये और दिल से दिल मिल जाये, तो फिर कोई भी ताकत निकट आने से नहीं रोक सकती है। प्रेम अगर बुढ़ापे में हो, तो फिर उसका कोई जवाब नहीं। मप्र में एक अनूठा और आश्चर्यचकित कर देने वाला मामला सामने आया है। राज्य का संस्कारधानी कहलाने वाले शहर जबलपुर में एडीएम कोर्ट के समक्ष 22 फरवरी को 75 वर्ष के व़द्व और 67 वर्ष की कुंवारी महिला ने एक-दूसरे के गले में माला डालकर एक-दूसरे को जीवन साथी मान लिया है। कहा जाता है कि प्यार जाति, उम्र एवं किसी प्रकार का बंधन नहीं देखता है। बुजुर्ग हुब्बीलाल काछी और महिला बुजुर्ग सुशीला बाई के बीच लंबे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था पर समाज के डर से दोनों एक-दूसरे से मिलने से कतराते थे। 75 वर्षीय काछी की 15 वर्ष पहले 1997 में पत्नी चंपा बाई का स्वर्गवास हो गया था, जब से वे विधुर है। जबकि दूसरी ओर 67 वर्षीय सुशीला बाई ने अब तक शादी के बंधन में बंधी नहीं थी और वे कुंवारा जीवन जी रही थी, लेकिन इस उम्र के पड़ाव में उन्हें अपने एक साथी की जरूरत महसूस हुई और देखते ही देखते दोनों ने अकेलेपन का जीवन दूर करने के लिए शादी का बंधन स्वीकार कर लिया। अब देखना यह है कि इनकी शादी कितनी कामयाब हो पाती है अथवा नहीं, क्योंकि उम्र के इस पड़ाव में जाकर व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ता है, लेकिन प्यार तो अंधा ही होता है ना। इसी के चलते दोनों ने शादी के जोड़े में बंधना ही उचित समझा । हाल ही में मप्र की राजधानी भोपाल में बुजुर्गों की एक पंचायत हुई थी जिसमें महिला और पुरूषों को शादी कराने का मंच उपलब्ध कराया गया था। इस कार्यक्रम में पूरे देशभर से बुजुर्ग महिला और पुरूष शामिल हुए थे जिसमें से आधा दर्जन महिला और पुरूषों की शादी भी तय हुई। परंपराओं को तिलांजली देकर बुढ़ापे में भी सहारे की तलाश कहीं कहीं जीवन की यात्रा में कामयाब भी होती है, ऐसा बार-बार हम अपने आस पास देखते हैं और 75 वर्ष के दूल्हे और 67 वर्ष की दुल्हन को दिल से शुभ कामनाएं है कि वे शादी के बंधन को जीवन पर्यन्त स्वीकार करें।
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