गांव और शहरों में कितना विकास हुआ है इसको जानने के लिए भाजपा ने एक फरवरी से लगातार विकास यात्राएं निकाली जा रही है और उनमें यह जाना जा रहा है कि आखिरकार विकास के महल में हम कहा खड़े हैं। बीते तीन वर्षों में घोषणाएं तो खूब हुई है पर उनकी जमीनी हकीकत क्या है, इसको परखने ने का काम स्वयं भाजपा ने लिया है। इसके चलते विकास यात्रा विवाद का पिटारा बन गई है यात्रा को लेकर विपक्ष आक्रमक तेवर दिखा रहा है और उस पर सवाल पर सवाल खड़े कर रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ पार्टी के मुखिया भी दम खम से कांग्रेस के खिलाफ तीखे हमले कर रहे हैं। अभी मप्र में विधानसभा चुनाव होने में दो साल का समय बाकी है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने तीर अभी से तरकसों से निकलना शुरू कर दिये हैं।
भाजपा की विकास यात्रा विवाद यात्रा के रूप में तब्दील होती जा रही है, जहां एक ओर मीडिया ने भी विकास यात्रा पर सवाल दाग दिये हैं तो विपक्ष की भूमिका अदा करने वाली कांग्रेस भी कहा चुप रहने वाली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी यात्रा के दौरान कह रहे हैं कि जो काम 60 साल में नहीं हुए वह हमने आठ साल में कर दिखाये हैं। इस यात्रा में भी सीएम को बेटी बचाओ अभियान ही रास आया है वह हर कार्यक्रम में बेटी बचाओ का संकल्प दिला रहे हैं वह अब कहने लगे हैं कि उनकी सरकार को बेटियों से बेहद लगाव है। कांग्रेस और सीएम के बीच बयान युद्व तो लंबे समय से चल रहे हैं। दिग्विजय सिंह के एक बयान पर एक महीने बाद चुप्पी तोड़ते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार की शुरूआत में दो विकेट गिर गये तो तीसरा विकेट (शिवराज) भी गिर जायेगा, लेकिन यह तीसरा विकेट तो जम गया है और अब कांग्रेसियों को चिंता सता रही है अब तो कांग्रेसियों को सपने में भी शिवराज नजर आते हैं। कांग्रेसियों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिरकार क्या करें। इसलिए हम जो करते हैं वह वैसा ही कर रहे हैं। अब पद यात्रा पर निकलने की बात भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की तीखी शैली के सामने कांग्रेस के बयानवीर नेता भी टिक नहीं पाते हैं, पीसीसी मुखिया कांतिलाल भूरिया कह रहे हैं कि भाजपा सरकार गुप्त एजेंडे पर चल रही है। विकास यात्रा का कार्यक्रम भाजपा के राजनीतिक हित साधने में किया जा रहा है इसमें सरकारी मशीनरी का भरपूर दोहन हो रहा है, जबकि भोपाल के कांग्रेस विधायक आरिफ अकील तो पत्रकारों को अपने उत्तर विधानसभा क्षेत्र में निकली विकास यात्रा में भोपाल नगर निगम के कर्मचारियों के यात्रा में शामिल होने के फोटो जारी कर चुके हैं, जबकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सीएस वैश्य को पत्र लिखकर पूछा है कि यह यात्रा सरकार की है या पार्टी की। कुल मिलाकर विकास यात्रा विवाद का केंद्र बन गई है।
यात्रा बनाम मुद्दे :
विकास यात्रा का मुख्य लक्ष्य सरकार की उपलब्धियों को जानना है इस बहाने भाजपा पूरा फीडबैक जमीनी स्तर पर लेना चाहती है इसके लिए बकायदा एक फॉर्म भी लोगों से भरवाया जा रहा है। यात्रा के दौरान सड़क,बिजली पानी और उद्योग के विकास की बाते भी हो रही हैं। इसके चलते मीडिया ने भी विकास यात्रा के दौरान राज्य की जहां-तहां से उखड़ी सड़के, बार-बार बारिश में बहती सड़के, तहस-नहस हो गये राष्ट्रीय राजमार्ग तथा जब-तब गायब होने वाली बिजली और किसानों की आत्महत्या का अनबरत जारी सिलसिला एवं खाद के लिए किसानों की जोर अजमाईश के चित्र जारी किये जा रहे हैं और उनकी असलियत बताई जा रही है, जबकि सरकार की तरफ से जारी विज्ञापनों में विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए किसानों के हित में किये गये काम तथा सड़कों की मरम्मत और 24 घंटे बिजली का सपना फिर अखबारों में चमक रहा है। इससे साफ जाहिर है कि विकास यात्रा जरिए आम आदमी की बुनियादी जरूरतों के सवाल उठ गये हैं। कांग्रेस और भाजपा अपनी-अपनी राजनीति कर रही है, लेकिन आम आदमी की परेशानियां और पीड़ाए खुलकर सामने आने से कम से कम एक बार फिर प्रदेश के विकास को लेकर सवाल तो खड़े होने लगे हैं और यह बेहतर संकेत हैं। मप्र का दुर्भाग्य है कि यहां के जनप्रतिनिधि विकास के सवाल पर दायें-बायें होने लगते हैं, मीडिया भी इनको गंभीरता से नहीं ले पाता है, लेकिन देश में विकास का पर्याय बन गया गुजरात मॉडल अब अन्य राज्यों में भी विकास पर डिबेट होने लगी है। मप्र में भी चुनाव से पहले 60 साल बनाम आठ साल के विकास की चर्चा अभी से दिखने लगी है इसको और अवसर आगे बढ़ाने का है ताकि अगला चुनाव भी विकास पर ही फोकस हो।
'' जय हो मप्र की''
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