बुधवार, 25 जनवरी 2012

फिर केंद्र के खिलाफ आंदोलन करेगे, मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

         मध्‍यप्रदेश्‍ा की भाजपा सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है। हर छह महीने में किसी न किसी मुद्दे पर केंद्र और राज्‍य सरकार के बीच टकराव की नौबत बन ही जाती है। इसके चलते बयानबाजी का दौर तो चलता ही है साथ ही साथ एक दूसरे की कलई खोलने का अभियान भी नजर आने लगता है। मप्र में फिलहाल विधानसभा चुनाव में दो साल का समय बाकी है, लेकिन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी से राज्‍य का किला फतह करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। चौहान की मंशा राज्‍य में विकास करने की है ओर उन्‍हें बार-बार लगता है कि उनके सपनों केंद्र सरकार कहीं न कहीं पूरा करने में बाधा बनकर राह में खड़ी है। वैसे भी चौहान ने अपने मु‍ख्‍यमंत्रित्‍व कार्यकाल में ऐसा कोई दिन नहीं रहा होगा, जब उन्‍होंने केंद्र नहीं कोसा होगा। दो बार तो वह केंद्र के खिलाफ धरना आंदोलन भी कर चुके हैं । वर्ष 2011 में जब वे उपवास पर बैठे थे, तब तो तत्‍कालीन राज्‍यपाल रामेश्‍वर ठाकुर की पहल पर श्री चौहान का उपवास एक दिन भी नहीं चल पाया था और उन्‍हें बीच में ही अपना आंदोलन स्‍थगित करना पड़ा था। इससे पहले वे धरने पर बैठ चुके हैं अब एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान ने भ्रष्‍टाचार को लेकर केंद्र के खिलाफ मौन आंदोलन करने  का एलान कर दिया है। इस आंदोलन के तहत श्री चौहान और उनकी कैबिनेट के सभी सदस्‍य 02 फरवरी, 2012 को दो से तीन घण्‍टे तक मौन धारण कर केंद्र का ध्‍यान आकर्षित करेंगे। इसकी वजह है ''मप्र विशेष न्‍यायालय विधेयक-2011'' की मंजूरी का न मिलना है। यह विधेयक वर्ष 2010 में विधानसभा से पारित हो चुका है और दस महीने से केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए फाइलों में उलझा हुआ है। इस विधेयक को मंजूर कराने के लिए चौहान राष्‍ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह से बार-बार मिलकर इस विधेयक को पारित कराने के लिए आग्रह कर चुके हैं, तब भी विधेयक को मंजूरी नहीं मिल रही है। इस विधेयक के पारित होने से मप्र सरकार भ्रष्‍ट अधिकारियों की सम्‍पत्ति को राजसात कर सकेगी और उस सम्‍पत्ति पर सरकारी स्‍कूल और दवाखाने खोल सकेगी। दु:खी मन से चौहान कहते हैं कि लचर कानून व्‍यवस्‍था के चलते प्रशासन में भ्रष्‍टाचार को लेकर भय नहीं रहा है अगर विधेयक को मंजूर मिल जाती है, तो भ्रष्‍टाचार पर प्रभावी नियंत्रण होगा। इस विधेयक में प्रावधान है कि भ्रष्‍टाचार से संबंधित मामले एक वर्ष की अवधि में न्‍यायालय में प्रस्‍तुत किये जाये और वर्ष में ही उसका निपटारा कर फैसला किया जाये। इसमें भ्रष्‍ट अधिकारियों को दंडित करने का भी प्रावधान है। 
भ्रष्‍टाचार  बनाम केंद्र सरकार:
       भ्रष्‍टाचार को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। कई मामले भ्रष्‍टाचार के उजागर हुए हैं, जिनमें केंद्र सरकार कठघरे में फंसी है। आज भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हर तरफ अभियान चल रहा है, ऐसी स्थिति में मप्र सरकार भी भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर आर और पार की लड़ने के मूड में है। इसी के चलते मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भ्रष्‍टाचार रोकने संबंधी विधेयक को पारित कराने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया है, लेकिन केंद्र सरकार की मंशा इस विधेयक को मंजूरी देने की नहीं लगती है, जबकि इसी तरह का विधेयक बिहार सरकार लागू कर चुकी है तब यह समझ से परे है कि मप्र में इसको मंजूरी क्‍यों नहीं मिल रही है। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्‍यमंत्री चौहान के मौन आंदोलन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भ्रष्‍टाचार विशेष न्‍यायालय कानून से नहीं बल्कि इच्‍छा शक्ति से रूकेंगा। अभी भी मप्र में भ्रष्‍टाचार की कोई कमी नहीं है। इसको रोकने की कोई पहल नहीं हो रही है। इस तरह के बयानबाजियों से निश्चित रूप से भ्रष्‍टाचार प्रदेश में थमने वाला नहीं है, क्‍योंकि सरकारी मशीनरी तो भ्रष्‍टाचार की पर्याय से बन गई है जिस पर सख्‍त लगाम लगाने की जरूरत है।  

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