सोमवार, 2 जनवरी 2012

किसानों के सपनों पर फिर पानी फिर गया मध्‍यप्रदेश में

       
          बार-बार मध्‍यप्रदेश के किसानों की जिन्‍दगी में अंधकार दस्‍तक दे रहा है। हर साल किसान एक समस्‍या से मुक्ति पाता है, तो प्राक़तिक प्रक्रोप उसे ऐसा जकड़ता है कि वह जहां से वह अपनी यात्रा शुरू करता है, फिर वही पहुंच जाता है। मप्र में किसान के साथ लगातार नाइंसाफी प्रक़ति कर रही है पिछले एक दशक से ऐसा कोई साल नहीं गुज रहा है, जब किसानों के साथ मौसम ने खिलवाड़ न किया हो, कभी ज्‍यादा बारिश से फसलें चौपट हो रही है, तो कभी पाले का प्रक्रोप जीना मुश्किल कर रहा है। इस साल जब किसानों ने भरपूर फसलों की बोबाई कर फसलों का अंकुरण खेतों में होने लगा तो जनवरी, 2012 महीने में मौसम ने फिर अम़त बरसाकर किसानों की उम्‍मीद पर पानी फेर दिया। न तो बारिश हुई है, बल्कि ओलों ने भी फसलों को नुकसान पहुंचाया है। प्रदेश में करीब एक दर्जन से अधिक जिलों में ओलो की झमाझम बारिश हुई है, जिसके कारण खेतों में लहलाती फसले चौपट हो गई। प्रदेश में नरसिंहपुर, राजगढ़, गुना, सीहोर, बैतूल, सागर, ग्‍वालियर, चंबल संभाग, शिवपुरी, होशंगाबाद सहित आदि जिलों में ओलों की बारिश हुई, ग्‍वालियर-चंबल संभाग में तो 10 हजार बीघा फसल को नुकसान पहुंचा है। इस ओले ने गन्‍ना, गेहूं और चने की फसलें बर्बाद कर दी है। बैतूल जिलें में तो लाखों का गन्‍ना और गेहूं बर्बाद हो गया है। किसानों का कहना है कि कहीं-कहीं बारिश से फसलों को मलहम मिला, लेकिन ओले गिरने से चना, मसूर की फसलें, बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस बेमौसम बारिश ने किसानों के जीवन में एक बार फिर संकट की बारिश कर दी है। अभी तक तो किसान खाद, बीज से ही परेशान था, लेकिन अब एक नया संकट उसके सामने खड़ा हो गया, जिसके चलते किसानों को एक बार फिर आर्थिक मदद की दरकार होगी। यूं तो मप्र के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान पुत्र है और पिछले साल भी उन्‍होंने पाला प्रभावित किसानों को करीब 500 करोड़ से भी ज्‍यादा की राशि वितरित की थी। अभी वह नये साल का उत्‍सव मनाकर 02 जनवरी, 2011 को वापस लौट आये हैं अब फिर वह किसानों के बीच जाकर दुख-दर्द बांटेंगे, लेकिन इससे किसानों का भला नहीं होगा, बल्कि किसानों को आर्थिक मदद मिले तो निश्चित रूप से उनमें एक बार फिर लड़ने की ताकत मिलेगी पर एक सवाल बार-बार यह उठ रहा है कि किसानों के साथ प्राक़तिक मध्‍यप्रदेश में क्‍यों खिलवाड़ कर रही है। इस दिशा में वैज्ञानिक ढंग से विचार करने की आवश्‍यकता तो है। 
                                '' जय हो मध्‍यप्रदेश की ''
 

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