शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

उमा भारती ने बढ़ाया चुनाव का सियासी पारा


           मप्र की पूर्व मुख्‍यमंत्री और आक्रमक तेवर के नाम से पहचाने जाने वाली उमा भारती ने उप्र के चुनावी पारे को बढ़ा दिया है। इस अभियान को हवा कांग्रेस महा‍सचिव राहुल गांधी ने उमा भारती के खिलाफ बोलकर और दे दी है। ऐसी स्थिति में उमा भारती कहा चुप बैठने वाली थी, उन्‍होंने न सिर्फ राहुल गांधी पर हमला बोला, बल्कि उनके साथ-साथ मप्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को भी घेरा है। इससे साफ जाहिर है कि भविष्‍य में यूपी के चुनावी समर में मप्र के दिग्‍गज नेताओं के बीच जबर्दस्‍त बयानबाजी होने वाली है, जिसकी शुरूआत 19 जनवरी से हो गई है। इन बयानों के अखाड़ेवाजी में मप्र के एक और नेता और राजग के संयोजक शरद यादव कूद पड़े है। 
मप्र के नेता दूसरे राज्‍यों से चुनाव लड़ चुके हैं :
       ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि मप्र के नेता दूसरे राज्‍यों में जाकर चुनाव लड़ रहे हैं इससे पहले भी मप्र से राजनीति शुरू करने वाले शरद यादव तो उप्र, बिहार, हरियाणा से चुनाव लड़कर दिल्‍ली में दिग्‍गज नेताओं को पसीना छुड़ा चुके हैं इसके बाद नाम आता है कांग्रेस की राजनीति में आधुनिक चाणक्‍य अर्जुन सिंह का, जिन्‍होंने दिल्‍ली से लोकसभा चुनाव जीतकर आलो‍चक कांग्रेसियों के मुंह बंद कर दिये थे। अब इस कड़ी में साध्‍वी और पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती पहली बार उप्र में बुंदेलखंड के चरखारी वि0स0 क्षेत्र से चुनाव लड़ रही है। यह क्षेत्र लोधी बाहुल्‍य है और उमा को विश्‍वास है कि वे यहां से भगवा झण्‍डा लहरा देगी। वैसे भी उमा भारती यूपी में विधायक बनने नहीं गई है, बल्कि उनकी नजर मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर है। पार्टी में विरोध की चिंगारी न फैले  इसके लिए पार्टी आलाकमान ने अभी उमा को मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित नहीं किया है पर जिस तरह से पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष नितिन गडकरी ने भारी विरोध के बाद भी उमा भारती को आगे बढ़ाया है उसके पीछे भी भाजपा की सोची-समझी रणनीति है। 
उमा बनाम हिन्‍दुत्‍व का चेहरा :
      उमा भारती का चेहरा फायर ब्रांड नेत्री की है। वे हिन्‍दुत्‍व का चेहरा है और पिछड़े वर्ग में उनकी खासी पैठ है। यूपी उनके लिए पहले से ही रैन बसेरा रहा है, क्‍योंकि राम मंदिर आंदोलन में उमा भारती ने कई बार आक्रमक तेवर दिखाए हैं और वे हर मोर्च पर कामयाब रही हैं। पिछले पांच-छ: सालों से उनकी राजनीति पटरी से उतरी है, जिसके चलते उन्‍हें कई प्रकार की समस्‍याओं से जूझना पड़ा है। वर्ष 23 अगस्‍त, 2004 में मप्र मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के बाद से उन्‍हें वर्ष 2010 तक राजनीतिक उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरना पड़ा है। इस दौरान वर्ष 2006 में उन्‍होंने भाजश नामक राजनैतिक दल बनाया जिसने वर्ष 2008 के वि0स0 चुनाव में अपना बेहतर परफार्मेन्‍स दिखाया लेकिन उनका मन तो कमल की तरफ था जिसके चलते उन्‍होंने कई बार अपनी धार्मिक यात्राओं के जरिए अपने आपको सीमित कर लिया और 07 जून, 2011 को फिर उमा भारती भाजपा में शामिल हो गई। इसके लिए भी उन्‍हें खासी मशक्‍कत करनी पड़ी, क्‍योंकि उनके विरोधी उन्‍हें भाजपा में आने नहीं दे रहे थे और अब वे यूपी चुनाव में एक बड़ी नेत्री बनकर उभर रही है। 
राहुल ने छेड़ा उमा को :
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने 19 जनवरी को बुंदेलखंड में एक आम सभा में उमा भारती पर तीखा हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि जब यूपी की जनता के लिए हम लड़ाई लड़ रहे थे तब उमा भारती कहा थी और आज जब चुनावी माहौल आया तो वह प्रगट हो गई। उमा भारती को जब एमपी से भगा दिया गया तो यूपी आ गई। इस बयान पर उमा भारती तिलमिला गई और उन्‍होंने राहुल गांधी के बयान पर आंधे घंटे के भीतर ही मीडिया के सामने मुखातिब होकर कहा कि अगर सोनिया गांधी इटली से आकर चुनाव लड़ सकती है, तो वह मप्र से उप्र क्‍यों नहीं आ सकती हैं। उमा ने कहा कि वह राहुल के संरक्षक दिग्विजय सिंह को मप्र में 2003 में धूल चटा चुकी हैं और अब उप्र में उनकी बारी है। उमा ने राहुल को नसीहत दी कि वह अपनी मां का इतिहास देंखे, तब बुआ के बारे में कुछ बोले। 
दिग्विजय क्‍यों चुप रहे :
       इस बयानबाजी के बीच कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह कहा चुप रहने वाले थे, उन्‍होंने भी उमा पर हमला बोलते हुए कहा कि उमा भारती हमें क्‍या धूल चटायेंगी, पिछले चुनाव में खुद उनकी पार्टी उप्र में तीसरे नंबर रही थी। इस बयानबाजी के बीच ही मप्र के एक और दिग्‍गज नेता शरद यादव ने भी कहा कि उमा यूपी की हैं या एमपी की इससे क्‍या फर्क पड़ता है। जब देश के इष्‍ट माने जाने वाले राम, क़ष्‍ण, शिव सांवले थे तो गौरे कहा से आये । यह एक बड़ा मसला है सभी को जै‍नेटिक टेस्‍ट से होकर गुजरना होगा। इस बयानबाजी से यूपी की जनता का भला हो या न हो पर मप्र के दिग्‍गज नेताओं की उप्र में मौजूदगी ने मप्र की जनता के लिए यह चुनाव दिलचस्‍प और आकर्षित बना दिया है।

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