आंकड़ों की बाजीगिरी का खेल नौकरशाही खेलने में माहिर हैं। जब-जब आंकड़ों पर जब पैंतरेबाजी होती है, तो फिर बहस भी लंबी चलती है। मप्र के खातों में दिन प्रतिदिन उपलब्धियां बढ़ती ही जा रही हैं। अब विकासदर के मामले में मध्यप्रदेश ने ऊंची छलांग लगाई है। यहां तक कि बिहार को भी पीछे छोड़ दिया है। विकास के मामले में मध्यप्रदेश को 2000 के दशक तक बीमारू राज्य की संज्ञा दी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे प्रदेश इस बीमारी से बाहर निकल आया है। अब तो मप्र विकास के मामले में कई राज्यों से एक कदम आगे बढ़ने के लिए मोर्चा खोल चुका है। वर्ष 2012-13 में मप्र की आर्थिक विकास दर 10.02 और कृषि विकास दर 14.28 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक विकासदर के मामले में मध्यप्रदेश देश के बड़े राज्यो में शुमार हो गया है, हालांकि आर्थिक विकास में पौने दो और कृषि विकास की दर में दो प्रतिशत की कमी आई है। बीते साल यह 11.81 और 18.91 फीसदी थी, जबकि अभी गुजरात और महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्यों के आंकड़े आना बाकी है। केंद्र सरकार द्वारा जारी विकास अनुमानों के अनुसार वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर 14.28 प्रतिशत और आर्थिक विकास 10.02 होगी। वर्ष 2011-12 में बिहार की विकास दर सबसे ज्यादा 13.26 प्रतिशत और मध्यप्रदेश की विकास दर 11.81 प्रतिशत थी। इसी प्रकार मध्यप्रदेश में प्रतिव्यक्ति आय में लगातार इजाफा हो रहा है। वैसे तो अभी भी हम छत्तीसगढ़ से पीछे हैं। प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने में सरकार तो पहल कर ही रही है, लेकिन आम आदमी को भी इस दिशा में आगे आना होगा, तभी प्रतिव्यक्ति आय में इजाफा हो पायेगा। मप्र में वर्ष 2012-13 में प्रतिव्यक्ति आय में 8.69 प्रतिशत की वृद्वि अनुमानित है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात पर प्रसन्न है कि मध्यप्रदेश विकास दर के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है, जो कि राज्य के लिए एक शुभ संकेत है।
''मप्र की जय हो''