गुरुवार, 29 मार्च 2012

भाजपा की छाती पर मूंग दलने आ गये दिग्विजय

आर्शीवाद दीजिए : भाजपा विधायक विश्‍वास सारंग पैर पड़कर आर्शीवाद लेते हुए दिग्विजय सिंह से
          कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की जुबान पर हर किसी की नाराजगी होती है। किसी भी गली-चौराहे पर दिग्विजय सिंह की चर्चा होते ही उनके खिलाफ अनर्गल लोगों का बोलना शुरू हो जाता है पर दिग्विजय सिंह बार-बार पत्रकार वार्ता में यह साबित करने पर तुले रहते हैं कि वे जो भी आरोप लगाते हैं वे बाद में प्रमाणित होते हैं। उनके मुखर विरोध की एक बड़ी वजह कट्टरवादी ताकतों के खिलाफ जहर उगलना है। फेसबुक और टियूटर पर टिप्‍पणियां लगातार लिखी जा रही हैं। इस सब के बाद भी दिग्विजय सिंह दमदारी से फिर मप्र में दहाड़ने लगे हैं और अब उनके निशाने पर है भाजपा सरकार। यह सच है कि उनके मुख्‍यमंत्रित्‍व कार्यकाल में प्रदेश सड़क, बिजली, पानी की गंभीर समस्‍या से जूझा है। दिग्विजय सिंह ने यूपी चुनाव में कांग्रेस को कोई करिश्‍माई मौजूदगी नहीं दिखाई है इसके चलते उनके बयानों पर फिर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस की गुटबाजी को दरकिनार करते हुए दिग्विजय सिंह ने 28 मार्च को एलान कर दिया है कि वे अब मप्र में भाजपा की छाती पर मूंग दलने के लिए आ गये हैं और इस सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद ही चैन से बैठेंगे। अपनी बयानबाजी को आगे बढ़ाते हुए सिंह ने मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा अध्‍यक्ष ईश्‍वरदास रोहाणी और भाजपा प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये हैं। रोहाणी पर खनिज माफिया को संरक्षण और देश द्रोही से रिश्‍ते साबित करने की कोशिश बयानों के जरिये की है, जबकि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सरकारी जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। वही भाजपा प्रदेशाध्‍यक्ष झा तो उनकी नजर में कोई राजनीतिक हैसियत ही नहीं रखते हैं। यानि भविष्‍य में विवाद और गहरायेंगे। मप्र की राजनीति में दिग्विजय सिंह निश्चित रूप से कोई न कोई गुल खिलाते रहेंगे और यहां की शांति को अशांत करने में कोई कौर-कसर नहीं छोड़ेंगे। 

सोमवार, 19 मार्च 2012

मध्‍यप्रदेश में बौनी साबित हो रही है पुलिस

        ऐसा लगता है कि मध्‍यप्रदेश में पुलिस का खौफ खत्‍म हो गया है। अब पुलिस का काम सिर्फ गरीब, असहाय और आम आदमी पर डंडे चलाने तक सीमित रह गया है, लेकिन पुलिस उन लोगों के सामने असहाय और बौनी साबित हो रही है जो कि भाजपा के ताकतवर नेता हैं। ऐसे नेताओं के सामने तो पुलिस झुक-झुक कर सलाम करती है और वह नेता पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर मार रहे हैं। मप्र में नेता, माफिया गठजोड़ से पुलिस की शामत आ गई है। पिछले एक साल में भोपाल समेत पुलिस पर करीब 50 से अधिक की घटनाएं हो चुकी हैं। स्‍वयं गृहमंत्री उमाशंकर गुप्‍ता स्‍वीकार कर चुके हैं कि पिछले एक साल में भोपाल में ही पुलिस पर 25 से अधिक हमले की घटनाएं हुई हैं। इसके साथ ही हाल ही में मुरैना में तो आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार को अपनी जान गबानी पड़ी है। पुलिस के साथ मारपीट की घटनाएं मप्र में कोई नई बात नहीं है, लेकिन चिंता का पहलू यह है कि अगर थाने में भी जाकर पुलिस पर हमले होने लगे तो फिर उनका खौफ कहा बचेगा यह तो भगवान भी नहीं बता सकता। राजधानी में पिछले महीने राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने कमला नगर थाने में जाकर पुलिसकर्मियों के साथ न सिर्फ झूमा-झपटी की बल्कि मारपीट भी की गई जिस पर पुलिस के आला अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। भला हो मीडिया का कि इस मुद्दे पर बढ़ा हल्‍ला मचाया और अंतत: पुलिस मुख्‍यालय को उन पुलिसकर्मियों को बहाल करना पड़ा। 18 मार्च, 2012 को दमोह में तो भाजपा नेताओं ने पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट के सारे रिकार्ड तोड़ दिये। अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दमोह के भाजपा नेताओं ने एक पुलिस कर्मी पर सरेआम हमला बोला, उस आरक्षक ने एटीएम में घुसकर अपनी जान बचाई। इसका मुख्‍य आरोपी जनपद सदस्‍य सौमेश गुप्‍ता है, जो कि भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा का करीबी माना जाता है। विवाद की जड़ पुलिस आरक्षक जहागीर खान और भाजपा नेता सौमेश गुप्‍ता के बीच सड़क पर साइड देने को लेकर हुआ। आरक्षक की इतनी पिटाई की गई है कि वह गंभीर रूप से घायल है फिलहाल तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मप्र में पुलिस के साथ मारपीट की घटनाएं कोई नई बात नहीं है, ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है। राजधानी में तो एक आईपीएस अफसर की आंख भी फोड़ दी गई है। राज्‍य के मुख्‍यमंत्री लगातार कह रहे हैं कि पुलिस का खौफ अब खत्‍म हो गया है उसे नये सिरे से अपनी भूमिका अदा करना चाहिए, लेकिन जब राजनीतिक हस्‍तक्षेप बढ़ेगा, तब पुलिस कहा से कार्यवाही करेगी। कुल मिलाकर मप्र में कानून व्‍यवस्‍था तो ध्‍वस्‍त हो ही गई है अब ऊपर से पुलिस के साथ मारपीट की घटनाओं से साबित हो रहा है कि मप्र का भगवान ही मालिक है। 
                           ''जय हो मप्र की''

रविवार, 18 मार्च 2012

वाह क्‍या दृश्‍य है

मनोरम दृय : मप्र के हरदा जिले में अजनाल नदी पर बने स्‍टापडेम पर बने पानी रोकने का झरना लोगों को बेहद आकर्षित करता है। यह स्‍थल खंडवा राजमार्ग से गुजरने वाले लोगों को कुछ पलों के लिए रोक ही देता है।
      प्रकृति और खूबसूरती की गोद में मध्‍यप्रदेश समाया हुआ। जहां निगाहें डाले वहीं प्रकृति स्‍वागत करती नजर आती है। हर तरफ हरियाली छाई हुई है खूबसूरती की छटा निराली है। न सिर्फ प्रकृति के अलावा ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर भी कदम-कदम पर मिलती है। इसके बाद भी सरकार पर्यटक को लुभाने के लिए जैसी मशक्‍कत करनी चाहिए वैसी अभी भी नहीं हो रही है। मध्‍यप्रदेश में हर क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं विकसित की जा सकती है। धार्मिक पर्यटन और मेले में आज भी लोगों का हुजूम टूटता है, जो कि हमारे अपने राज्‍य के लोग होते हैं। निश्चित रूप से राज्‍य की भाजपा सरकार ने धार्मिक मेलों को व्‍यवस्थित ढंग से आयोजित करने के लिए मध्‍यप्रदेश मेला प्राधिकरण का गठन कर दिया है। इसके साथ ही धार्मिक स्‍थलों को धार्मिक नगरी बनाने के लुभावने सपने बार-बार दिखाये जा रहे हैं इसके बाद भी जो विकास की एजेंसियां है उस गति से कार्य नहीं कर रही है जिस गति से की जानी चाहिए। गुजरात और उ0प्र0 से ज्‍यादा संभावनाएं मध्‍यप्रदेश में पर्यटन क्षेत्र से है। ऐसा नहीं है कि इस दिशा में काम नहीं हो रहा है लेकिन जिस रफ्तार से कार्यों का अंजाम दिया जाना चाहिए वैसा अभी भी नहीं हो पा रहा है। मप्र के पर्यटन मंत्री तुकोजीराव पवार हमेशा अस्‍वस्‍थ रहते हैं और उनके कामकाज अधिकारियों के जिम्‍मे हैं। वर्ष 2003 के बाद रेलवे सेवा के अधिकारी अश्विनी कुमार को मध्‍यप्रदेश पर्यटन विकास निगम का प्रबंध संचालक बनाया गया था, तो उन्‍होंने आते ही निगम की न सिर्फ आवो-हवा बदली, बल्कि ऐसे उल्‍लेखनीय कार्य किये हैं, जो कि अमिट हो गये हैं। यूं तो पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विस्‍तार करने की जिम्‍मेदारी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की है पर वे सामाजिक संरचना को ताकत देने के लिए बेटी बचाओ अभियान और लाडली लक्ष्‍मी योजनाओं पर अधिक जोर दे रहे हैं। निश्चित रूप से उनके अपने ड्रीम प्रोजेक्‍ट हैं, लेकिन अगर पर्यटन सेक्‍टर में बीच-बीच में ध्‍यान दिया जाये, तो यह इलाका भी न सिर्फ रोजगार की बरसा करेगा, बल्कि धन लक्ष्‍मी भी हर क्षेत्र में बरसेगी बस इसके लिए सरकार को चौकस रहने के साथ-साथ पर्यटन स्‍थलों के आसपास निर्माण कार्यों को व्‍यवस्थित ढंग से करना होगा। विशेषकर पहुंच मार्ग और हर सुविधा पर्यटक को मिले इस दिशा में ध्‍यान देने की जरूरत है। मप्र की राजधानी भोपाल से जुड़े पर्यटन स्‍थल न सिर्फ देशभर में बल्कि पूरी दुनिया में अपना एक अलग स्‍थान बनाये हुए है। दो स्‍थलों को अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटन स्‍थल के रूप में जाना जाता है जिसमें सांची का बौद्व स्‍तूप और पुरातात्विक स्‍थल भीम बैठिका शामिल हैं। इसके साथ ही भोपाल में दुनिया भर में पहचान रखने वाली ताजुल मस्जिद, भारत भवन, वन बिहार, मानव संग्राहलय, भोजपुर सहित आदि पर्यटक स्‍थल हैं। इन क्षेत्रों को आज भी विकास की दरकार है, लेकिन सरकार को जो गंभीर कार्यों के लिए दिखानी चाहिए उसमें कहीं भी तेजी नजर नहीं आती है। 
                           ''जय हो मध्‍यप्रदेश की''

गुरुवार, 8 मार्च 2012

परचम फैलाया उमा भारती ने यूपी में

        मध्‍यप्रदेश के राजनेताओं की नेत़त्‍व क्षमता पर जब तब सवाल उठते रहे हैं पर राज्‍य में ऐसे भी नेता जिन्‍होंने न सिर्फ मप्र की सरजमी पर अपने आपको स्‍थापित किया है, बल्कि राज्‍य की सीमा से बाहर जाकर मप्र का झंडा अन्‍य राज्‍यों में लहराया है। इनमें साधवी और पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती का नाम भी शुमार हो गया है। वैसे तो ऐसे नेताओं की संख्‍या गिनी जाये तो बहुत सीमित है, क्‍योंकि मप्र से बाहर जाकर चुनाव जीतना हर किसी नेताओं में क्षमताएं नहीं है। यह परंपरा सबसे पहले समाजवादी नेता शरद यादव, फिर कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह और अब उमा भारती ने यूपी में चरखारी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर मप्र का नाम रोशन किया है। सुश्री उमा भारती ने मात्र एक पखवाड़ा ही चरखारी की जनता के बीच दिया। लेकिन फिर भी उमा की जीत ने साबित कर दिया कि मप्र के नेता भी अन्‍य राज्‍यों में झंडा गाड़ सकते हैं। यूं भी उमा भारती की लोकप्रियता राष्‍ट्रीय स्‍तर पर है उनकी वाकपटुता और भाषण शैली से आम आदमी प्रभावित होता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे देश में कहीं भी चली जाये, भीड़ अपने आप उनके पीछे आने लगती है। उमा ने चरखारी से चुनाव जीतकर न सिर्फ मप्र का सिर ऊंचा उठाया है, बल्कि अपनी राजनीतिक यात्रा में एक नया मुकाम भी हासिल किया है। लंबे समय तक वे राजनीतिक वनवास भोग रही थी, लेकिन भाजपा ने उन्‍हें यूपी में चुनावी बागडोर सौंपकर एक बार फिर उनके प्रति विश्‍वास जाहिर किया है।
 निश्चित रूप से उमा भारती अब मप्र के साथ-साथ उप्र में भी अपना परचम फहरा चुकी हैं। इसी प्रकार जनता दल यूके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और एनडीए के संयोजक शरद यादव तो बिहार, यूपी, हरियाणा से लोकसभा और राज्‍यसभा में पहुंचे हैं। शरद यादव भी मप्र में जबलपुर से सबसे पहले सांसद बने और उसके बाद उन्‍होंने देश की राजनीति में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। वही दूसरी ओर कांग्रेस के इकलौते नेता अर्जुन सिंह ने भी देश की राजधानी दिल्‍ली से लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में एक रिकार्ड बनाया था। मप्र में अमूमन राजनेता दूसरे राज्‍यों में जाकर चुनाव नहीं लड़ते हैं, लेकिन कुछ बिरले नेता होते हैं जो मप्र की सीमाओं से बाहर जाकर अपना जौहर दिखाने में कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं उनमें अब साधवी उमा भारती भी शामिल हो गई हैं।

शनिवार, 3 मार्च 2012

शेहला हत्‍याकांड : डायरी के पन्‍ने खोल रहे हैं राज

          अंतत: सीबीआई शेहला मसूद हत्‍याकांड की परते खोलने की दिशा में आगे बढ़ रही है और कभी शेहला मसूद की गहरी दोस्‍त रही जाहिदा परवेज के दफ्तर से मिली डायरी कई राज खोल रही है जिसमें जाहिदा का भाजपा विधायक ध्रुवनारायण सिंह से गहरा प्रेम भी झलक रहा है। सीबीआई को आशंका है कि कहीं शेहला की हत्‍या त्रिकोणीय प्रेम की वजह से तो नहीं हुआ है। जाहिदा की डायरी से मिले राज यह जाहिर कर रहे हैं कि वह विधायक सिंह से बेहद मोहब्‍बत करती थी और हर हाल में विधायक को अपने निकट पाने की कोशिश में रहती थी। डायरी से मिली बाते जाहिर कर रही है कि जाहिदा और ध्रुव के बीच गहरी दोस्‍ती थी इसी के चलते जाहिदा ने अपने प्रेमी पर पूरी तरह से वर्चस्‍व बनाये रखने के लिए शेहला मसूद की हत्‍या करा दी। फिलहाल तो यह सब डायरी बया कर रही है, लेकिन भविष्‍य में इन मामलों में अभी राज खुलना और बाकी है। प्रेम में जाहिदा इस कदर डूब गई थी कि उसे दर्द और प्यार भरी शायरी खासी पसंद आने लगी थी। वह डायरी में भी अपनी शायरी लिखकर अपने प्‍यार का इजहार किया करती थी। जाहिदा की शायरी के कुछ अंश यहा - 
           मोम के जिस्‍म पिघलते जब हैं, तो
                              पतंगों के दिल भी जलते हैं,  जिनको 
          खुद पर नहीं भरोसा, वे तो भीड़ के 
                   साथ चलते हैं।।
          कैसे पहचान लेंगे चेहरे, 
                  आजकल लोग हर पल रंग बदलते हैं।
          प्‍यार से सींचकर देखों दोस्‍तों, 
                  पतझड़ में भी पेड़ फलते हैं।।

वाह चेतन भगत तुम्‍हें बार-बार सलाम, एमपी असली इंडियन

         यूं तो मध्‍यप्रदेश को कभी पिछड़ा राज्‍य, बीमारू, अर्धशिक्षित, गंबार, जागरूक नहीं, लड़ाकू लोग नहीं जैसे आदि जुमलों से समय-समय पर जानी-मानी हस्तियां उछालती रही है, लेकिन लंबे समय बाद जाने-माने अंग्रेजी लेखक चेतन भगत ने मप्र का सिर न सिर्फ ऊंचा किया है, बल्कि मप्र वासियों को नई राह भी दिखाई है। वाह चेतन भगत आपको बार-बार सलाम कि आपने मप्र को असली इंडियन कहकर एक बढ़ा महत्‍वपूर्ण दर्जे से नवाजा है जिसके लिए आपको बार-बार नमन। दिलचस्‍प यह है कि   02 मार्च, 2012 को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान लेखक चेतन भगत ने मप्र की चर्चा में भाव-विभोर होकर कहा कि यहां पर हिन्‍दी है, एमपी में हिंदी का बोल बाला है। बाहर कोई गुजराती और बंगाली नहीं है यही वजह है कि मध्‍यप्रदेश के लोग असली इ‍ंडियन है अन्‍यथा किसी भी राज्‍य में चले ज‍ाइयेगा तो पहले वह अपने आपको गुजराती, बिहारी, मराठी कहलाने में गर्व करते हैं। गुजरात वाले आपस में मिलकर गुजराती हो जाते हैं, पंजाब वाले साथ हो तो पंजाबी हो जाते हैं, लेकिन मध्‍यप्रदेश का व्‍यक्ति कभी गुट नहीं बनता वह हमेशा हिन्‍दुस्‍तानी रहता है। उन्‍होंने दुखी मन से कहा कि आज तक देशभर के 75 शहरों में युवाओं से संवाद कर चुका हूं और हर क्षेत्र में लोगों से मिला हूं लेकिन एक देश की कमी मुझे हर जगह महसूस होती थी, लेकिन मप्र के लोगों में दिखती है। निश्चित रूप से अंग्रेजी लेखक चेतन भगत ने मध्‍यप्रदेश्‍ावासियों को दिल से एक बढ़ा तोहफा दे दिया है कि यह राज्‍य अपनी भाषा की सीमाओं में बंधा हुआ नहीं है, बल्कि राष्‍ट्रीयता से ओत-प्रोत है। अन्‍यथा मध्‍यप्रदेश को लेकर इसी राज्‍य से जुड़े राजनेता समय-समय पर ऐसी-ऐसी टिप्‍पणियां करते हैं जिससे राज्‍य के रहवासियों का सिर शर्म से झुक जाता है। बीते दिनों में एनडीए के अध्‍यक्ष और मप्र की भूमि से जुड़े नेता शरद यादव ने तो मप्र के लोगों को लड़ाकू नहीं होने की संज्ञा से नबाजा था। इसी के साथ ही कई नेता इसको बीमारू और पिछड़ा राज्‍य भी कहने से नहीं चूकते हैं। यह सच है कि मप्र के लोग सीधे-सादे और सरल स्‍वभाव के लोग हैं, वे षड़यंत्र करने में ज्‍यादा विश्‍वास नहीं करते हैं यही वजह है कि विकास का जो पहिया घूमना चाहिए वह अभी घूम नहीं पा रहा है, लेकिन प्रदेश की जनता के लिए इससे ज्‍यादा क्‍या सुखद होगा कि राज्‍य लगातार विकास के पायदान पर चढ़ता ही जा रहा है। 
                      '' जय हो मप्र की''
 

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

शेहला हत्‍याकांड : राजनीति और अपराधीकरण का एक चेहरा भी सामने आया

     मध्‍य प्रदेश का हाईप्रोफाइल शेहला मसूद हत्‍याकांड से कई चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। राजनीति और अपराधीकरण का गठजोड़ भी सामने आ रहा है, जो चौका रहा है। अमूमन यह कहा जाता है कि राजनेता और अपराधियों के बीच मिली-भगत का खेल पर्दे के पीछे चलता है, लेकिन मप्र में पिछले एक दशक से ऐसी घटनाएं सामने आ ही है जिससे राजनेता और अपराधियों का खुलासा हो रहा है इन घटनाओं को लेकर न तो राजनीतिक दलों में कोई चिंता है और न ही उससे बचने के कोई उपाय खोजे जा रहे हैं, बल्कि मामला सामने आने के बाद तर्कहीन बाते करते हैं। शेहला मसूद कांड में गिरफ्तार हुए अपराधी से निकटता  भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा की निकटता से कई सवाल खड़े हो गये हैं, क्‍योंकि फोटो में झा के पीछे अपराधी डेंजर का खड़ा होना ही मायने रखता है। अब भले ही प्रभात झा सफाई दें कि जनता को अपराधी के तौर पर नहीं देख सकते, भीड़ में कौन अपराधी है यह समझ पाना कठिन है। निश्चित रूप से झा को नहीं मालूम होगा कि उनके मंच पर कोई अपराधी है, लेकिन जब भाजपा के कार्यक्रम में लगातार अपराधियों को मंचों पर देखा जाता है, तो यह डर सताने लगता है कि कहीं मप्र की राजनीति में भी अपराधियों की घुसपैठ तो नहीं हो रही है। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार के दौरान भी कई बड़े दिग्‍गज नेताओं और अपराधियों के मामले सामने आ चुके हैं जिन पर काफी विवाद हुआ है। पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तो अपने कार्यकाल में माफिया और राजनीति के गठबंधन पर एक कमेटी बनाई थी उसकी रिपोर्ट आज भी मंत्रालय में धूल खा रही है। अब नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कह रहे हैं कि शेहला मसूद हत्‍याकांड में शामिल एक अपराधी के साथ झा के चित्र से जाहिर हो गया है कि भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा क्‍या है। झा हमेशा दूसरों को नसीहत देने में हमेशा आगे रहे हैं अब उनके रिश्‍ते अपराधियों के साथ उजागर हो रहे हैं जिससे साफ जाहिर है कि भाजपा नेताओं का अपर‍ाधियों से गहरा गठजोड़ है। कुल मिलाकर मप्र की राजनीति में माफिया और अपराधियों के गठजोड की नई-नई कहानियां जन्‍म ले रही है जिन्‍हें रोकने पर विचार करना होगा अन्‍यथा प्रदेश की राजनीति को दूषित और प्रदूषित होने से कोई नहीं रोक पायेगा।

गुरुवार, 1 मार्च 2012

कर्जे पर हो रहा है मप्र रोशन


       विकास की सीढि़या लगातार चढ़ना हर राज्‍य के लिए सपना होता है। विकास का पहिया भले ही मध्‍यप्रदेश में धीमा चल रहा हो, लेकिन सरकार इस विकास की गाड़ी को गति देने की इच्‍छा तो रखती है, लेकिन यह सवारी भी कर्ज पर हो रही है। आज मप्र कई क्षेत्रों में उल्‍लेखनीय काम कर रहा है, लेकिन राज्‍य 78 हजार करोड़ के कर्जे से रोशन हो रहा है। वित्‍त मंत्री राघव जी ने विधानसभा में 28 फरवरी को बजट पेश करते हुए कहा कि प्रदेश पर कर्जा अवश्‍य बढ़ गया है, लेकिन इस पर ब्‍याज के रूप में मात्र 9 प्रतिशत राशि ही राज्‍य को देनी पड़ रही है, जो कि पूर्व में 22 प्रतिशत थी। प्रदेश पर वर्तमान में लगभग 80, 542 करोड़ का कर्जा है जो असहज नहीं है। एक लाख करोड़ वाले राज्‍यों की सूची लंबी है। निश्चित रूप से वित्‍त मंत्री राघव जी ने इस बार अपना लुभावना बजट पेश किया है और पेट्रोल पर वैट कर घटाया गया है, जबकि कर्मचारियों को भी गद-गद कर दिया है। इस बजट में द़ष्टि के अभाव की बातें हो रही है, क्‍योंकि दूरगामी द़ष्टिकोण बजट में कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। 
बजट और मध्‍यप्रदेश : 
    वित्‍त मंत्री राघव जी ने 9वीं बार बजट पेश किया। जिसमें 10 हजार 17 करोड़ का राजकोषीय घाटा है। कुल बजट 80,030.98 करोड़ का है। इस बार सड़क पर 4694 करोड़ का प्रावधान है। पिछले साल की अपेक्षा 53 प्रतिशत राशि अधिक मिली है, जबकि बिजली पर 7710 करोड़ तय किया, जो कि पिछले साल की अपेक्षा 49 प्रतिशत अधिक है।  वर्तमान में प्रतिव्‍यक्ति आय 37,744 रूपये है और जीडीपी 9 प्रतिशत है। यानि आज भी हम छत्‍तीसगढ से प्रतिव्‍यक्ति आय में पीछे हैं। 
नंदन दुबे मप्र के नये पुलिस मुखिया : 
     मप्र के नये पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने 29 फरवरी को कार्यभार ग्रहण कर लिया है। भारतीय पुलिस सेवा के 1976 बैच के अधिकारी एसके राउत की जगह स्‍थान लेंगे। दुबे के बारे में कहा जाता है कि वे नियम, कानून के सख्‍त और ईमानदार माना जाता है। इनका कार्यकाल 30 सितंबर,2014 को समाप्‍त होगा। दुबे मानना है कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती कानून बनाये रखना है। दलित और महिलाओं पर अत्‍याचार रोकने के हरसंभव प्रयास किये जायेंगे, पुलिस किसी को भी असहाय होने का अभास नहीं होने देगी। 
थानों में संघ परिवार की दादागिरी : 
     पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट मप्र में आम बात हो गई है। राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता थानों में जाकर हंगामा करने लगे हैं और मारपीट पर भी उतारू हा जाते हैं। हाल ही में राजधानी के एक थाने में संघ परिवार के स्‍वयंसेवकों ने पुलिस‍कर्मियों के साथ मारपीट की, लेकिन उन पर तो कोई कार्यवाही नहीं हुई, बल्कि भोपाल के आईजी ने जो पुलिसकर्मी स्‍वयंसेवकों से पिटे थे उन्‍हें ही निलंबित कर दिया है तथा निलंबित होने वाले कर्मचारियों की संख्‍या दस है। मप्र की सरकारी मशीनरी में लगातार हस्‍तक्षेप संघ परिवार का बढ़ता ही जा रहा है। 
                   '' जय हो मप्र की'' 

परते अभी खुलना बाकी है शेहला हत्‍याकांड की, जनचर्चा का विषय बना



     किसी फिल्‍म की तरह मप्र की राजधानी भोपाल में आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्‍या की परते सीबीआई धीरे-धीरे सुलझाने की ओर बढ़ रही है। अभी तक तो यह कहा जाता था कि सीबीआई अपनी जांच में 6-8 माह में भी कोई खास निष्‍कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही थी। हाईप्रोफाइल बना शेहला मसूद हत्‍याकांड राजनीति के सफेदपोश के लिए दिल धड़काने बढ़ाने वाला है, क्‍योंकि कहीं-कहीं इशारे राजनेताओं की ओर भी हो रहे हैं। 28-29 फरवरी को इस मामले ने नया रूख लिया है और शेहला मसूद की कभी दोस्‍त रही आर्टिकेट जाहिदा परवेज को सीबीआई ने पकड़ा है। फिलहाल तो वह सीबीआई की रिमांड पर रहेगी, इसके साथ ही शाकिब डेंजर को भी पकड़ा है। इस मामले में दिलचस्‍प यह है अभी तक हत्‍याकांड को लेकर पूरी पिक्‍चर का खुलासा नहीं हुआ है और अभी इस तथ्‍य का खुलासा होना है कि आखिरकार शेहला मसूद की हत्‍या किन कारणों से की गई है। सीबीआई सारे मामले का खुलासा एक साथ करने वाली है। वैसे तो अदालत में जाहिदा अपने बयान से पलट गई है और अपने आपको बेकसूर बताया है तथा साथ ही इस बात से भी इंकार किया है कि उसने अपने पति से शेहला के अवैध संबंधों को लेकर हत्‍या की है। यहां दिलचस्‍प यह है कि जिस शाकिब डेंजर को सीबीआई ने पकड़ा है वह भाजपा से जुड़ा हुआ है और पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ उसकी तस्‍वीरें मीडिया में छप गई हैं। प्रारंभिक जांच में सीबीआई से जो संकेत मिल रहे हैं उससे लग रहा है कि पर्यटन विकास निगम के ठेकों को लेकर दोनों के बीच तना-तनी हुई थी। इसी के चलते शेहला बार-बार जाहिदा को धमकियां देती थी फिर जाहिदा ने शेहला की हत्‍या करने के लिए उ0प्र0 के एक सूटर को सुपारी दी थी। फिलहाल तो इस मामले को लेकर विभिन्‍न कहानियां राजधानी में हर तरफ गूंज रही है। हर व्‍यक्ति अपनी नई कहानी बया कर रहा है, लेकिन अभी भी पूरी कहानी पर से पर्दा उठना बाकी है, क्‍योंकि इस पूरे हत्‍याकांड की जब परते खुलेगी तो कई चेहरे बेनकाब हो जायेंगे, क्‍योंकि शेहला मसूद की निकटता पिछले आठ सालों में भाजपा के नेताओं से जग-जाहिर थी। 
                                  ''जय हो मप्र की''