अभी मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में करीब दो साल का समय बाकी है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने अभी से राज्य में चुनावी जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच वाकयद्व जंग का आकार लेता जा रहा है। राजनैतिक प्रेक्षकों का आंकलन है कि इस बार का चुनाव व्यक्तिगत आरोप- प्रत्यारोप पर फोकस होगा। इसके संकेत समय-समय पर राजनीतिक दलों के बयानों से मिलने लगे हैं। भाजपा सरकार अभी तक फीलगुड महसूस कर रही थी, लेकिन नवंबर महीने में विधानसभा में कांग्रेस के आक्रमक तेवर देखकर भाजपा भी बचाव की मुद्रा में अभी से आने लगी है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर यह मंशा जाहिर कर दी है कि भविष्य में सरकार की कलई और खोली जायेगी। राजनीतिक दलों के एक-दूसरे पर तीर छोड़ने का सिलसिला भाजपा और कांग्रेस की तरफ से साथ-साथ चल रहा है। भाजपा की ओर से प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने लगातार कांग्रेस पर तीखे प्रहार शुरू कर दिये हैं, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो शुरू से ही केंद्र सरकार को कोसने का काम कर रहे हैं, ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता है, जब चौहान केंद्र सरकार के खिलाफ तीखी नाराजगी जाहिर न करते हो। मुख्यमंत्री तो बार-बार कह रहे हैं कि मप्र के साथ केंद्र सरकार भेदभाव कर रही है, इसके खिलाफ विपक्ष को भी केंद्र के समक्ष साथ चलना चाहिए। पर विपक्ष इस संबंध में कोई राय जाहिर नहीं कर रहा है, बल्कि विपक्ष के नेता अजय सिंह ने तो एक कदम आगे जाकर केंद्र सरकार को राज्य की खामियों को लेकर अलग-अलग ज्ञापन सौंप डाले हैं। अजय सिंह ने पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रियों को ज्ञापन सौंपकर राज्य में हो रहे खनिज घोटालों एवं मनरेगा में हो रही अनियमितताओं की जांच की मांग कर डाली है, तो शेहला मसूद एवं जोशी हत्याकांड की जांच में चल रही धीमी गति पर भी सवाल खड़े किये है। यह पहली बार है कि कांग्रेस विधायक दल के नेता के साथ करीब दो दर्जन से अधिक विधायकों ने भी दिल्ली में डेरा डाला और केंद्र सरकार के समक्ष अपनी नाराजगी जाहिर की। यही वजह है कि केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री जयराम रमेश अब जनवरी माह में प्रदेश की यात्रा पर आ रहे हैं। इससे भाजपा बौखुला गई है और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने यहा तक कह डाला है कि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह प्रदेश के विकास को रोक रहे हैं। कांग्रेस मैदानी लड़ाई लडने में असफल रही है, तो अब तिकड़म और औछी राजनीति पर उतर आये हैं। झा ने अफसोस जाहिर किया कि कांग्रेस विधायक दल का केंद्र सरकार यह अनुरोध करना कि विकास की राशि दो साल तक रोक दी जाये, तो इससे साफ जाहिर है कि प्रदेश की सात करोड़ जनता के साथ केंद्र सरकार ना-इंसाफी की जा रही है। इससे साफ जाहिर है कि भाजपा को कांग्रेस के आरोपों से भीतर ही भीतर घबराहट शुरू हो गई है। कांग्रेस कह रही है कि हम तो भाजपा सरकार के खिलाफ अभियान चलाये हुए है अगर सरकार को ज्यादा तकलीफ है तो हम जो आरोप लगा रहे हैं उसकी वह जांच करा ले। प्रदेश में अभी फिलहाल चुनावी माहौल नहीं बना है, लेकिन राजनैतिक दल धीरे-धीरे प्रदेश में एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाकर चुनाव की जमीन तो तलाश कर ही रहे हैं अब इसका लाभ किसको मिलेगा यह तो भविष्य ही बतायेगा।
निर्णय - भोपाल में शौर्य स्मारक एक वर्ष में बनेगा :
देश में प्राण न्यौछावर करने वाले वीरो की स्म़ति में भोपाल में शौर्य स्मारक बनाया जा रहा है यह एक वर्ष में बनकर तैयार हो जायेगा। इस पर कार्य शुरू हो गया है। सेना भी इस पर नजर रखे हुई है। सीएम ने एलान किया है कि यह स्मारक एक वर्ष में बन जायेगा।
राजनीति - वर्षों बाद अटल जी की होर्डिंग :
मध्यप्रदेश में वर्षों बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की होर्डिंग स्थान-स्थान पर लगाये गये हैं। अटल जी का 25 तारीख को जन्मदिन है। इसी दिन मध्यप्रदेश सरकार सुशासन दिवस भी मना रही है जिस पर शपथ दिलाई जायेगी।
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