नये साल के स्वागत के लिए जोर-शोर से हर तरफ तैयारियां चल रही हैं। अब मात्र दो दिन शेष बचे हैं। प्रदेश के हर हिस्से में जश्न की खुमारी अभी से चढ़ने लगी है। आम आदमी अपने जीवन के रोजमर्रा के कामकाज निपटाते हुए नये साल के वेलकम का इंतजार कर रहा है, तो उद्योगपति, राजनेता और अफसर अपने अपने तरीकों से नया साल मानने की तैयारियों में जुटे हैं। मंत्रालय समेत कई विभागों के अफसर पसंदीदा स्थानों पर छुट्टी लेकर पहुंच गये हैं तथा राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नये साल की शुरूआत मंदिरों में दर्शनों से करेंगे। बाजारवाद ने मप्र को भी नये साल के जश्न की तैयारियों में डुबो रखा है। प्रदेश के विभिन्न होटलों में बड़ी-बड़ी पार्टियों के आयोजनों की तैयारियां चल रही है। इस बार होटलों में लेजर शो, ग्राउण्ड पार्टी, म्यूजीकल शो, थीम डांस, लाइट बैण्ड म्यूजिक, रूफटॉप पार्टी, डीजे आरकेस्ट्रा और डांस फलोर सहित आदि का आयोजन होना है यानि हर तरफ नये साल में धूम-धडाका और पार्टियां होगी, होटलों ने नये-नये ऑफर दिये हैं। आधुनिकता के बदलते दौर में पार्टियों में जाम न हो, तो फिर किस बात की खुशियां। बदलते ट्रेंड ने पुरूषों के साथ-साथ अब स्त्रियों को भी ऐसे ट्रेंड का हिस्सा बना लिया हैं। ऐसा भी नहीं है कि राज्य का हर व्यक्ति पार्टियों के जरिए ही नये साल की खुशी मनायेगा, बल्कि सबके अपने-अपने नये साल के खुशियां मानने के तरीके होंगे। बड़ी संख्या में नौजवान इस बार समाज सेवा करके नये साल का अगाज करेंगे। यह प्रेरणा उन्हें समाजसेवी अन्ना हजारे से मिली है। आलम यह है कि राज्य के पर्यटन स्थलों के होटल एवं रेस्टहाउस पूरी तरह से बुक है, यहां तक कि 30 दिसंबर से 02 जनवरी तक मध्यप्रदेश से गुजरने वाली ट्रेनों में रिजर्वेशन भी नहीं मिल रहे हैं। न्यू ईयर पर इस बार एसएमएस पर भी बधाईयों का सिलसिला जमकर चलेगा। मध्यप्रदेश में नये साल की प्रतीक्षा हर वर्ग को होती है, क्योंकि हम नई चुनौतियों का सामना करने को तैयार रहते हैं, नये सपनों और इरादों के साथ मैदान में उतरते भी हैं।
वर्ष 2011 मध्यप्रदेश वासियों के लिए हमेशा याद रहेगा। ऐसी घटनाएं भी हुई जिसे भूल पाना संभव नहीं, तो कुछ यादें ऐसी हैं, जो कि हमेशा- हमेशा ईर्द-गिर्द ही रहेगी। राज्य को नई तस्वीर का आकार देने वाले राजनेता हमसे दूर चले गये, जिन्हें भूल पाना संभव नहीं है। भाजपा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अपना दायरा बढ़ाने में कोई कौर-कसर नहीं छोड़ी। 13 फरवरी, 2011 को केंद्र के खिलाफ भोपाल में उपवास पर बैठे तो 05 अक्टूबर, 2011 को 'बेटी बचाओ अभियान' का शंखनाद किया, तो वही नवंबर, 2011 में विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना भी किया। यही साल भाजपा के लिए कांग्रेस चुनौतियों के रूप में सामने आई और कांग्रेस ने भी कोई कौर-कसर नहीं छोड़ी। इसी वर्ष कांग्रेस को नया मुखिया कांतिलाल भूरिया मिला तो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अजय सिंह सामने आये। सिंह ने तो अविश्वास प्रस्ताव लाकर अपनी राजनीतिक छबि में इजाफा ही किया है। वही अपराधियों की पौवारा रही, सबसे ज्यादा अपराध बच्चों और महिलाओं के क्षेत्र में हुए। 02 जुलाई, 2011 को ग्वालियर संभाग में चिट फंड कंपनियों का मामला सामने आया, अब सीबीआई इसकी जांच कर रही है। आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्या आज भी रहस्यमय बनी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना ने प्रदेश के लिंगानुपात की स्थिति और चिंताजनक सामने ला दी है। पिछली जनसंख्या की तुलना में इस बार लिंगानुपात 932 से गिरकर 912 रह गया। इसमें मुरैना की स्थिति सबसे शर्मनाक है, जहां 1000 लड़को पर मात्र 825 लडकियां हैं। आदिवासी बाहुल्य इलाका एवं नक्सल प्रभावित इलाका बालाघाट ने तो एक नई मिशाल पैदा की जहां पर 1000:1021 अनुपात में है। मप्र में धीरे-धीरे फिल्मों का निर्माण होना एक सुखद संकेत है, क्योंकि राज्य में फिल्मों की शूटिंग के लिए अद्यभुत स्थान है, जिनका अभी तक उपयोग नहीं हो रहा था। फिल्मकार प्रकाश झा ने राजनीति के बाद आरक्षण फिल्म बनाई। हमेशा टाईगर स्टेट का तंमगा लगाकर घूमने वाला मध्यप्रदेश को 28 मार्च 2011 को उस समय झटका लगा जब जनगणना में मप्र में बाघों की संख्या 295 से घटकर 257 रह गई। वही 10 नवंबर 2011 को पन्ना में सबसे बड़ा हीरा भी मिला।
- 30 जून, 2011 को इंदौर में पदश्री शालनी ताई का निधन
- 22 सितंबर, 2011 को क्रिकेट के पूर्व कप्तान एवं भोपाल रियासत के अंतिम नबाव मंसूद अली खान पटौदी का निधन
- 06 अक्टूबर, 2011 को एस0सी0वर्मा ने छत से कूद कर आत्महत्या की
ये घटनाएं हमेशा याद रहेगी :
- 01 फरवरी, 2011 प्रदेश में रेल दुर्घटना में छत पर सवार 12 लोगों की मौत हुई
- 17 जुलाई, 2011 को नदी में फोटो खिचवते समय 4 लोग पानी में बह गये
- 01 अगस्त, 2011 को रायसेन जिले की बारना नदी में बस बही 21 लोगों की मौत हुई
- 21 अगस्त, 2011 बड़वानी जिले के सेंधवा नाके पर बस यात्रियों को जिंदा जलाया, 12 यात्रियों की मौत हुई
- 12 नवंबर 2011 मंदसौर की चंबल नदी में नाव पलटने से 13 लोगों की मौत हुई
- 03 दिसंबर, 2011 को गैस त्रासदी की बरसी पर पुलिस और पीडि़त आमने सामने आये, लांठी चार्ज हुई और लोग घायल हुए।
सुखद पहलू भी यादगार :
मध्यप्रदेश में बीता साल 2011 कई ऐसे सुखद पहलूओं के लिए भी याद किया जायेगा जिसमें विकास की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। इसी वर्ष आईटी कंपनी इंफोसिस एवं टीसीएस इंदौर में अपना कारोबार शुरू कर रही है, साहूकारों पर नकेल कसने के लिए कानून बनाया, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हिन्दी विवि की स्थापना हुई। निजी विश्वविद्यालयों को खोलने का सिलसिला तेज हुआ, नये विभागों का गठन हुआ, किसानों को राहत देने के लिए केंद्र की राशि का इंतजार किये बिना राज्य के खजाने से पैसा बंटा गया। साल के जाते-जाते 33 आईएएस अधिकारियों की बदला-बदली हुई। यानि मप्र में विकास के रास्ते तो खुले हैं अब चुनौतियों भी कम नहीं हैं।
'' मध्यप्रदेश की जय हो''