सोमवार, 20 जून 2011

हाथ फिर सडक पर आया

    
      मध्‍यप्रदेश की पहचान पर केंद्रित  www. mpraag.blogspot.com
     वैसे तो मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा ही मुख्‍य दल हैं, लेकिन इन दलों को अगर कोई चुनौती दे सकता है, तो वह है मद-मस्‍त हाथी, जो कि पिछले दो वर्षो से शां‍त-चित होकर बैठा हुआ था, लेकिन हाथी की चाल फिर से तेज होने के आसार नजर आने लगे हैं। इस हाथी को जगाया है, उनकी पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती ने। 19 जून को पार्टी कार्यकर्ताओं संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो और उत्‍तरप्रदेश की मुख्‍यमंत्री मायावती ने साफ तौर पर एलान कर दिया है कि मध्‍प्रदेश में मिशन वर्ष 2013 में बसपा अकेली ही मैदान में आयेगी,किसी पार्टी से कोई गठबंधन नहीं करेगी, उन्‍होंने तो कार्यकर्ताओं को संकेतो ही संकेतों में कह दिया है कि मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस कमजोर है और भाजपा सरकार में दलित और गरीब वर्ग उपेक्षित है। इसके चलते बसपा को ताकत के साथ मैदान में उतरना चाहिए। मायावती के संकेत से साफ है कि अ‍ब बसपा का हाथी मैदान में उतरकर कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत बनने वाला है। राज्‍य में जाति की राजनीति कुल हलको में ही होती है, जहां पर बसपा का जोर कभी कभी दिखता भी है। लेकिन उत्‍तरप्रदेश की सीमाओं से जुडे इलाको मे बसपा ने कई चुनावों में अपना खास असर दिखाया है। अब फिर से बसपा राज्‍य में सक्रिय हो रही है। बार बार बसपा को अपने कैडर होने का अभियान तो है, लेकिन उस कैडर का उपयोग ठीक से नहीं हो पा रहा है, न तो बसपा जमीनी संघर्ष करती नजर आती है और न ही उसका संगठन राज्‍य में ही दिखता है। कभी कभार बडे बडे सम्‍मेलन करके अपनी मौजूदगी दर्ज करती है। बसपा निश्चित रूप से दलित वर्ग में तो अपनी पैठ बनाये हुए, लेकिन अब सर्व समाज में भी प्रवेश करने की बसपा की तमन्‍ना है। बसपा सुप्रीमो मायावती भी कहकर गई है कि दलित वर्ग के साथ साथ सर्व समाज की भी टिकट में भागीदारी रहेगी। बसपा का मिशन वर्ष 2013 का आगाज हो चुका है। अब तो जमीनी संघर्ष का इंतजार है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

EXCILENT BLOG