एक बार फिर से कन्यादान योजना को लेकर बवाल खडा हो गया है, इस योजना के अंतर्गत आदिवासी इलाके में आदिवासी युवतियों का गर्भपरीक्षण करा लिया है जिससे सत्तापक्ष् और विपक्ष बेहद खफा है, यहां पर कौमार्य परीक्षण किया गया है वहां आदिवासियों के देवताओं का वास है इस प्रसंग से एक बार फिर से योजनाओं पर अफशरशाही हावी होने का खुलासा हो गया है, आखिर उन अफसरों की हिम्मत कैसे हो गई कि वे आदिवासियों युवतियों का कन्यादान योजना के तहत होने वाले विवाह कार्यक्रम से पहले कौमार्य परीक्षण कराएं, आखिरकार इसके पीछे की मंशा क्या थी, यह समझ से परे है, हो सकता है कि अधिकारियों को लगा हो कि आदिवासी युवती और युवक गांव में साथ साथ रहते, काम करते है तो कहीं कोई युवती गर्भवती तो नहीं है इसके चलते परीक्षण का निर्णय ले लिया गया हो पर फिर भी उस अधिकारी की हिम्मत कैसे हो गई, यह सब आदिवासियों के जीवन से खिलवाड करने के लिए क्यों होता है, यह सवाल तेजी से उठ रहा है, सरकार ने सारे मामले को गंभीरता से लिया है, जांच के आदेश हो गए है, कलेक्टर ने भी जांच कराने का फरमान दिया है।
आदिवासी युवतियों का गर्भपरीक्षण - यह शर्मनाक घटना मप्र के आदिवासी बाहुल्य गांव बैतूल जिले के चिचौली विकासखंड के हरदू गांव में जून के प्रथम सप्ताह में हुई है, जहां पर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिेक विवाह में 400 से ज्यादा आदिवासी युवतियों का गर्भपरीक्षण कराने का मामला सामने आया है
जांच की प्रक्रिया शुरू - बैतूल जिले में कलेक्टर राजेंश प्रसाद मिश्रा है जो कि प्रमोटी है उन पर वल्लभ भवन में सत्कार घोटाले का आरोप लग चुका है कलेक्टर महोदय ने प्रशिक्षुक आईएएस अधिकारी को जांच का जिम्मा दिया है, उधर सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने विभाग की अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए है, यूं तो भार्गव इस घटना से बेहद दुखी और आहत है, यह बात वे अधिकारियों के समक्ष बयां भी कर चुके है, घोडा डोंगरी की विधायक गीता उईके भी गुस्से में है वे इस मामले की शिकायत सीएम चौहान से कर चुकी है, उनका कहना है कि वे अधिकारी सामने आने चाहिए जिनके आदेश पर यह शर्मनाक घटना हुई और उन पर कार्रवाई भी की जानी चाहिए। विवादों में योजना कन्यादान योजना - मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का डीम प्रोजक्ट मुख्यमंत्री कन्यादान योजना किसी न किसी वजह से विवादों के घेरे में आ रही है हाल ही में एक जिले में नकली मंगलसूत्र ही बांट दिए गए, वहीं योजना के तहत जो बर्तन दिए जाते है उनमें क्वालिटी घटिया होने की शिकायतें मिल रही है, इसके बाद भी विभाग की नींद नहीं खुली है अब विभाग ने नए सिरे से कन्यादान योजना पर गौर किया है, वैसे तो इस योजना को लेकर जब सीएम गंभीर है तो अधिकारियों को तो और जागरूक होकर योजना को आकार देना चाहिए पर ऐसा हो नहीं हो रहा है हर तरफ लूट का पैमाने चल रहा है, ऐसी स्थिति में अधिकारियों ने आदिवासियों युवतियों का कौमार्य परीक्षण ही करा दिया जिसकी जितनी निंदा की जाए वे कम होगी क्योंकि यह राज्य के लिए शर्मनाक है।
मप्र की जय हो
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