बुधवार, 5 जून 2013

उमा भारती की राजनीति - कोई न जाने

       साध्‍वी से राजनीति में प्रवेश करने वालीउमा भारती के नाम कई रिकार्ड दर्ज हो चुके है, मध्‍य प्रदेश की पहली महिला मुख्‍यमंत्री बनने का रिकार्ड बनाने वाली उमा भारती की राजनीति को कोई नहीं जान पाया है, वे कब क्‍या बोले और किसके साथ कैसा सलूक कर दें कोई विश्‍वास नहीं करता है, अभी एक सप्‍ताह पहले तो वे भाजपा की ग्‍वालियर में हुई कार्यसमिति एवं भाजपा पालक  संयोजक महासमागम में नहीं बुलाए जाने पर खफा थी, अचानक धार्मिक यात्रा पर निकल गई थी पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके जिले में मुख्‍यमंत्री अन्‍नापूर्ण योजना और अटल ज्‍योति अभियान में शिरकत करके उमा भारती की नाराजगी दूर कर दी , यहां तक कि उमा भारती ने भी चौहान के काम काज जमकर प्रशंसा करते हुए यह वादा भी कर दिया कि वे विधानसभा चुनाव में जो पार्टी कहेगी उसका पालन करेंगी इस पर चौहान ने उमा भारती की तारीफ करने को कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया है उन्‍होंने तो यह तक कह दिया कि वे उमा भारती के हर वादे को पूरा कर रहे है,उमा ने तिरंगे की शान के लिए मुख्‍यमंत्री पद छोड दिया था यानि उमा महान राजनेता है इस बयान बाजी के दूसरे रोज ही उमा ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी कि ग्‍वालियर में उन्‍हें नहीं बुलाकर उनकी उपेक्षा की गई,  वे बुंदेलखंड तक अपने आप को सीमित रखेगी, यह भी कह दिया कि जब ग्‍वालियर बुलाया ही नहीं है तब क्‍यों जाती,उमा को इस बात का अफसोस है कि उन्‍हें ग्‍वालियर नहीं बुलाया गया है, इससे पहले भी भाजपा संगठन ने चुनाव अभियान के लिए जो भी समितियां बनाई है उसमें उमा भारती को कहीं भी प्रवेश नहीं मिल पाया है,  न ही उनके समर्थकों को स्‍थान मिला है, यूं तो भाजपा की राजनीति इन दिनों मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्‍यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के आसपास ही घूम रही है यह दो हस्तियां तय कर रही है कि किसको चुनाव अभियान में साथ रखना है अथवा नहीं, अनिल माधव दवे को लेकर यही स्थिति बनी कि उनको साथ रख लिया जाए और चुनाव प्रबंधन का काम सौप दिया जाए पर दवे का स्‍वास्‍थ्‍य साथ नहीं दे  रहा है ऐसी स्थिति में कितना प्रबंधन कर पाएंगे यह तो वक्‍त ही बताएगा, यह सच है कि मप्र की भाजपा राजनीति में नित प्रति भले ही बदलाव नहीं हो रहे हो लेकिन जो निर्णय लिए जा रहे है उसके दूरगामी असर जरूर पार्टी पर पडेंगे इस दिशा मे कोई विचार नहीं कर रहा है जबकि मिशन 2013के लिए सबकों साथ लेकर चलने का तकाजा है यह बात सीएम चौहान महसूस भी करते है और इस अभियान को आगे बढाते है पर कई बार उनके हाथों से भी बात निकल जाती है तब स्थितियां विपरीत होने लगती है।
                                            '' मप्र की जय हो ''

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