विकास के मामले में मध्यप्रदेश एक कदम आगे तो बढ़ा है, जो बीमारू राज्य के रूप में जाना जाता था, उसकी चर्चा अब विकास को लेकर होने लगी है। भले ही विकास की रफ्तार धीमी है, लेकिन विकास की तरफ रूख तो किया है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है। इसके साथ ही अब इस विकास पर केंद्र सरकार के मंत्रियों ने तो प्रशंसा के गीत समय-समय पर गाये हैं। यहां तक कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह भी मप्र के विकास से संतुष्ट हैं। फिलहाल मप्र को प्रतिव्यक्ति आय वृद्वि में जोर लगाना है इस दिशा में और प्रयास की जरूरत है। मप्र के विकास कार्यों की प्रशंसा में अब राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार पीए संगमा का नाम भी जुड़ गया है। संगमा ने 08 जुलाई को अपनी भोपाल यात्रा के दौरान मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान के कामकाज की जमकर तारीफ की। उन्होंने यहां तक कहा कि प्रदेश का सौभाग्य है कि उन्हें शिवराज सिंह चौहान जैसा मुख्यमंत्री मिला है। गुड गवर्नेन्स और विकास कार्यों के बारे में अब गुजरात के साथ मप्र का उदाहरण भी देश में दिया जाने लगा है। श्री संगमा दस साल बाद भोपाल आये थे और भोपाल विमानतल से लेकर भाजपा कार्यालय तक के सफर में उन्हें भोपाल क सौंदर्यता ने तो मोहित किया ही है साथ ही साथ विकास से भी प्रभावित हुए। वे कहते हैं कि प्रदेश की विकास दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है और वह बीमारू राज्य से बाहर निकल गया है। पहले लोग कहते थे कि जो आज बंगाल सोचता है वह कल पूरा देश करेंगा, लेकिन अब लोग कहेंगे कि ''जो आज मप्र करता है वह कल पूरा देश करेंगा'' यह सच है कि संगमा ने भविष्य की ओर संकेत दिया है। मप्र जिस रफ्तार से विकास की दौड़ में चल रहा है और नई-नई योजनाओं में अपने प्रयास में लगा है उसमें निश्चित रूप से राज्य का भविष्य सुनहरा तो नजर आता है पर इसके साथ ही नेतृत्व करने वाले नेताओं को जरूर विकास की ललक दिल और दिमाग में पैदा करनी पड़ेगी, तभी मप्र देश के फलक पर चमकेगा। आज भी मप्र की रोशनी से कई राज्य चमक रहे हैं और यहां की योजनाएं उन राज्यों में लागू की जा रही हैं। भविष्य में देशभर में भी मप्र चमके तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
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