शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

सुषमा स्‍वराज के संसदीय क्षेत्र से आमिर के समर्थन में महिला सरपंचों ने शराब के खिलाफ मोर्चा संभाला


         यूं तो मप्र में शराब के खिलाफ महिलाएं मैदान में मोर्चा लंबे समय से संभाल रही हैं, लेकिन आज भी शराब को लेकर कोई बड़ा आंदोलन राज्‍य में खड़ा नहीं हो पाया है। महिला सरपंच अपने-अपने स्‍तर पर शराब बंदी के पक्ष में म‍ुहिम चलाती रहती हैं। पिछले सप्‍ताह आमिर खान के रियल्‍टी शो ''सत्‍यमेव जयते'' में शराब के खिलाफ पूरा कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम का असर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा में नजर आया। यहां की महिला सरपंचों ने एकजुट होकर विदिशा कलेक्‍टर कार्यालय के समक्ष उपस्थित होकर गांव-गांव में बिक रही शराब के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और ज्ञापन भी सौंपा। इन महिला जनप्रतिनिधियों का कहना है कि शराब की वजह से गांव-गांव में सामाजिक वातावरण तार-तार हो रहा है, उसमें प्रदूषण फैल रहा है, परिवार टूटकर बिखर रहे हैं, घर परिवार की सम्‍पत्तियां बिक रही हैं, खेत-खलियान दांव पर लग गये हैं, फिर भी गांव के लोगों के लिए शराब अमृत बन गई है। इसके खिलाफ पंचायतीराज में एक छोटी से भूमिका अदा करने वाली महिला सरपंच ने आवाज उठाई है। इन सरपंचों का कहना है कि उन्‍हें शराब बंदी का अधिकार दिया जाये। यह अधिकारी हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में मिला हुआ है। वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2003 तक
''आमिर खान, शो का असर मप्र में भी हुआ''
पंचायराज के तहत पूरी गांव की महिलाओं को अधिकार था कि अगर वह दो तिहाई से अधिक हस्‍ताक्षर करके दे, दें तो शराब की दुकान बंद हो जायेगी। इसका कई स्‍तरों पर विरोध हुआ और अंतत: इस आदेश का कोई पालन नहीं हुआ। बहती शराब ने कई गांव की खुशहाली को बर्बादी में बदल दिया है। विदिशा जिले की 09 महिला सरपंचों ने लिखित में कलेक्‍टर को शिकायत की है और जल्‍द से जल्‍द कार्यवाही का अनुरोध किया है। इससे पहले सतना जिले में महिलाओं ने एक नया प्रयोग किया है, जिसके तहत जो पुरूष गांव में शराब पीता पाया जायेगा, उस पर जुर्माना लगेगा। इसका भी असर हुआ है। अब विदिशा जिले की महिलाओं ने शराब के खिलाफ आवाज उठाई है। इन महिला सरपंचों का कहना है कि बढ़ती शराब खोरी से गांव की परंपराएं और संस्‍कृति प्रभावित हो रही है। मांग पूरी होने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। दिलचस्‍प यह है कि विदिशा संसदीय क्षेत्र की सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज के इलाके से महिलाओं ने शराब के खिलाफ आवाज बुलंद की है। अब देखना यह है कि श्रीमती स्‍वराज मप्र की
''महिलाओं की चिंता तो करूंगी सुषमा स्‍वराज''
अपनी ही सरकार से शराब बंदी के लिए क्‍या पहल करती हैं। वैसे तो महिला प्रतिनिधियों को आंदोलन करने की जरूरत ही महसूस नहीं होना चाहिए था, क्‍योंकि उनके इलाके का नेतृत्‍व तेज-तर्राट भाजपा नेत्री सुषमा स्‍वराज कर रही हैं। कुल मिलाकर मप्र में शराब बंदी के खिलाफ पांच-छह साल में एकाधबार कहीं न कहीं से महिला आवाज बुलंद कर देती हैं। वर्ष 2000-01 में कांग्रेस सरकार के तत्‍कालीन उप मुख्‍यमंत्री सुभाष यादव ने भी शराब बंदी के खिलाफ अभियान छेड़ा था, मगर बाद में वे भी टाय-टाय फिस्‍स हो गये। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्ष 2010 से लगातार एलान कर रहे हैं कि उनके कार्यकाल में एक भी नई शराब की दुकान नहीं खोली जायेगी, जो दुकाने खुली है उन्‍हीं से व्‍यवसाय होगा। यह भी सच है कि शराब का कारोबार लगातार फलफूल रहा है। महिलाओं का आंदोलन एक नई किरण है।

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