मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

कहां तलाश करें बहुएं मध्‍यप्रदेश में

जीवन भर साथ निभाना
     सामाजिक तानाबाना तेजी से छिन्‍न-भिन्‍न हो रहा है, लोगों का नजरिया संकुचित हो रहा है, जिसका परिणाम परिवारों पर दिख रहा है। आलम यह हो गया है कि अब शादी के लिए बहुएं तलाश करने में लोगों को पसीना आ रहा है। इसकी वजह है लिंगानुपात में जमीन-आसमान का अंतर। इस समस्‍या से देश के कई राज्‍य जूझ रहे हैं और अब मप्र भी इसमें शामिल हो गया है। राज्‍य की भाजपा सरकार ने तो बेटी बचाओ अभियान छेड़ रखा है। राज्‍य के कई हिस्‍सों में लिंगानुपात में बड़ा अंतर है जिसके चलते लोगों को अपने घरों में बहुएं लाने के लिए पड़ौसी राज्‍यों की शरण लेनी पड़ रही है। यहां तक कि बहुएं खरीदकर लाई जा रही हैं। गरीब राज्‍य मप्र में शादियां आज भी समाज के सम्‍मेलनों के जरिए व्‍यापक स्‍तर पर होती है, क्‍योंकि कई परिवार तो शादियां करने की स्थिति में नहीं होते हैं। इसलिए उन्‍हें समाज का मंच स्‍वीकार करना पड़ता है। इस दिशा में भी राज्‍य सरकार ने भी कन्‍यादान जैसी महती योजना शुरू की है जिसके बेहतर परिणाम मिले हैं। इस योजना से अब तक गरीब दो लाख निर्धन कन्‍याओं के जीवन में सुहाग की लकीर खिच गई है। सरकार भी विवाह और ग्रहस्‍थी की शुरूआत के लिए 15 हजार रूपये मुहैया करा रही है। वैसे तो इस योजना का कई स्‍तरों पर विरोध भी हुआ है, लेकिन इसका समर्थन बहुत अधिक है। समाज का एक बड़ा तबका इस योजना के साथ खड़ा है, क्‍योंकि गरीब कन्‍याओं के विवाह के रास्‍ते सरकार ने खोल दिये है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना के जरिए अपने आपको गरीबों का मसीहा भी साबित करने की कोशिश की है। 
परिचय सम्‍मेलन और शादियां :
आओ साथ रहे
       मध्‍यप्रदेश में दुल्‍हा-दुल्‍हन तलाश करने का मंच आजकल समाज के परिचय सम्‍मेलन भी हैं। समाज की सक्रियता का यह परिणाम है कि हर वर्ग का समाज परिचय सम्‍मेलन कर रहा है जिसमें मुख्‍य रूप से जैन समाज, अग्रवाल समाज, ब्राम्‍हण समाज, स्‍वर्णकार समाज, कतिया समाज, सिरवैया समाज सहित आदि अपने-अपने इलाकों में सम्‍मेलन करके शादियों के लिए दुल्‍हा-दुल्‍हन तलाश कर रहे हैं। इन समाज के कर्ता-धर्ताओं को एक चिंता सताने लगी है कि सम्‍मेलन में युवकों की अपेक्षा युवतियां कम आ रही हैं। यानि जिस परिचय सम्‍मेलन में 50 लड़के आते हैं वहां पर सिर्फ 25 लड़कियां आ रही है। इस चिंता को दूर करने के लिए अब परिचय सम्‍मेलनों में लोगों से बेटा-बेटियों के बीच कोई भेदभाव नहीं करने का शपथ पत्र भरवाया जा रहा है। निश्चित रूप से परिचय सम्‍मेलन एक सार्थक कदम तो है, लेकिन उनकी चिंता भी बाजिब है।

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