जोशी जी आप सही फरमा रहे : यह बात पूर्व सांसद विक्रम वर्मा ने एक बैठक में कही |
भाजपा नेता चिंतन, मंथन और बैठकों के लिए जाने जाते हैं। कोई भी बड़ा मुद्दा सामने आया तो भाजपा के नेता उस पर घंटों चिंतन, मंथन करते हैं और फिर जो निष्कर्ष निकलते हैं उस पर अमल भी करते हैं। फिर भले ही जनता उसे स्वीकार करें अथवा नहीं। भाजपा नेताओं को यह बीमारी संघ परिवार से लगी है। संघ परिवार चिंतन, मंथन में ही डूबा रहता है। इसको ग्रहण करने में भाजपा ने कोई कौर-कसर नहीं छोड़ी। मप्र में विधानसभा चुनाव में मात्र अब डेढ़ साल का समय बाकी है पर भाजपा अभी से मिशन 2013 फतह करने के लिए हरसंभव प्रयास करने में जुट गई है। कार्यसमिति की बैठकें हर तीन महीने में हो रही है। संगठन और सरकार में तालमेल बनाये रखने के लिए कौर ग्रुप की बैठकें भी लगातार हो रही हैं। इन बैठकों में एक चेहरा अचानक फिर से सक्रिय हुआ है। इस पर मुख्यमंत्री को बेहद विश्वास है यह चेहरा है भाजपा के महामंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का। तोमर अचानक मप्र की राजनीति में फिर से सक्रिय हो गये हैं। मप्र की राजनीति में अभी तक मुख्यमंत्री चौहान का एक छत्र राज भाजपा में कायम है। बीच-बीच में प्रभात झा अपनी ताकत का प्रदर्शन भी कर रहे हैं, लेकिन फिर भी भाजपा में नौ साल बाद भी कोई गुटबाजी फिलहाल तो नहीं है। थोड़ी बहुत नाराजगी और गुस्सा होना स्वाभाविक है। भविष्य की योजनाएं पार्टी बना रही है। सरकार अपने स्तर पर लगातार सक्रिय है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं है। विपक्ष सरकार की खामियों पर हमले कर रहा है। अवैध उत्खनन और भ्रष्टाचार तथा बिगड़ी कानून व्यवस्था एक बड़े मुद्दे राज्य में बन गये हैं, इनको लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी चिंता जाहिर की है। अब इस पर कितना अमल हो पाता है यह तो भविष्य ही बतायेगा, लेकिन फिर भी नेताओं ने अपना फर्ज अदा कर दिया है अब इस पर निर्णय सरकार और संगठन को करना है।
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