शनिवार, 21 अप्रैल 2012

अफसरों के मंथन पर भी अमृत क्‍यों नहीं निकल रहा मप्र में

बताओ विभाग में क्‍या नया चल रहा  : यह सवाल मुख्‍यमंत्री चौहान ने अधिकारियों से पूछा
             मध्‍यप्रदेश की छवि को देश के अन्‍य राज्‍यों के सामने चमकाने के लिए राज्‍य के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिल में आग तो बहुत है और वे बार-बार अपने भाषणों में भी जिक्र करते हैं। विकास के नये आयमों को स्‍थापित करने के लिए अधिकारियों से लगातार मंथन करते हैं, उस पर मंत्रियों से फीडबैक लेते हैं, फील्‍ड की कमान स्‍वयं संभाल रखी है, वे हर दिन गांव और सड़कों पर दौरा करते हैं, सरकारी कार्यक्रमों में लाडली लक्ष्‍मी और कन्‍यादान योजनाओं का बखान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं, इसके बाद भी मध्‍यप्रदेश का विकास जस का तस क्‍यों है यह रहस्‍यमय है। हाल ही में जनगणना की एक रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें मप्र में सबसे कम बुनियादी सुविधाएं देने वाला राज्‍यों में शामिल हो गया है। नागरिकों को आज भी शौचालय और शुद्व पानी नहीं मिल रहा है। यह जरूर है कि सीएम ने मुख्‍यमंत्री पेयजल योजना और मर्यादा अभियान चलाया हुआ है जिसमें हर गांव में शौचालय बनाने का लक्ष्‍य है। चौहान की तमन्‍ना है कि मप्र स्‍वर्णिम राज्‍य बने, लेकिन प्रदेश में पिछले छह महीने के दौरान जो घटनाएं सामने आई है, जिससे राज्‍य का विदुप चेहरा सामने आया है। आईपीएस की हत्‍या हो जाना, तहसील पर जेसीबी चलाने जैसी घटनाएं अब आम होती जा रही है। माफिया ने हर क्षेत्र में अपना ढंका बजा रखा है, उनके सामने पुलिस और व्‍यवस्‍था लाचार और असहाय हो गई है। इससे पहले कभी माफिया इतना ताकतवर राज्‍य में नहीं रहा है। वही दूसरी ओर यह भी सच है कि मुख्‍यमंत्री बार-बार लोगों को यह विश्‍वास दिलाते रहते हैं कि माफिया को जड़मूल से खत्‍म किया जायेगा। इसके बाद भी माफिया पनपता जा रहा है। 
मंथन पर अमृत क्‍यों नहीं निकल पा रहा : 
         मुख्‍यमंत्री चौहान लगातार फील्‍ड में दौड़ रहे हैं, अफसरों के साथ मंथन कर रहे हैं, आधी-आधी रात तक बैठकों का दौर चल रहा है। इसके बाद भी अमृत क्‍यों नहीं निकल पा रहा है। विभागों की योजनाएं सड़कों से गायब है, हर विभाग में भ्रष्‍टाचार की कहानियां कभी भी अखबारों की सुर्खिया बनती रहती हैं। अधिकारी और कर्मचारी फील्‍ड में जा नहीं रहे हैं। कितना दुखद है कि करोड़ों रूपया सरकारी विभाग के हर साल लैप्‍स हो रहे हैं उस राशि का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। जमाना तेजी से बदल रहा है, लेकिन सरकारी विभाग आज भी अपनी ही रफ्तार से चले जा रहे हैं जिसके फलस्‍वरूप विभागों का अस्तित्‍व संकट में आ गया है। विभागों की योजनाएं अगर जनता तक नहीं पहुंच पा रही है, तो यह कहीं न कहीं सरकार की असफलता तो है, इस दिशा में भी विचार करने की आवश्‍यकता है कि आखिरकार हम कहा असफल हो रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

EXCILENT BLOG