यूं तो मध्यप्रदेश शांतिप्रिय राज्य है, यहां पर आंदोलन, धरना प्रदर्शन कम ही होते हैं, विशेषकर भाजपा समय-समय पर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन का रूख अख्तियार करती है,जबकि कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है, पर वह आंदोलन से कतराती रही है। राज्य में पहली बार अन्ना की आंधी ऐसी चल रही है कि शहरों,कस्बों और गांवों में भी जन समुदाय हाथों में तिरंगा लेकर वंदेमातरम के जयकारे कर रहे है। अन्ना समर्थकों का न तो कोई नेत़त्व कर रहा है और न ही इन आमजनों के साथ कोई समाजसेवी मैदान में है। लोग अपने आप घरों से निकल रहे हैं और अन्ना के समर्थन में कही कैंडल मार्च हो रहा है,तो कहीं पर रैली और जुलूस निकाले जा रहे है। पिछले आठ दिनों से यह सिलसिला लगातार जारी है। मीडिया में भी इन प्रदर्शनों को पर्याप्त महत्व मिल रहा है। अन्ना समर्थकों ने भाजपा और कांग्रेस सांसदों के निवास पर भी धरना प्रदर्शन करके जनलोकपाल विधेयक के पक्ष में सांसदों से पत्र लिखवाये जा रहे हैं। भाजपा सांसद नरेंद्र सिंह तोमर का अपने क्षेत्र में निवास और बंगला नहीं होने से लोगों ने ग्वालियर में ही एक झुग्गी बनाकर धरना दिया,तो इंदौर में कांग्रेस सांसद प्रेमचंद्र गुडडू व सज्जन सिंह वर्मा ने प्रदर्शन के थोडी देर बाद ही जनलोकपाल विधेयक पर सहमति पत्र देकर अन्ना समर्थकों को गद-गद कर दिया तो भोपाल के सांसद कैलाश जोशी प्रदर्शनकारियों पर खफा हो गये, लेकिन फिर भी वंदेमातरम की गूंज उनके बंगले के आसपास होती रही,तब जोशी को भी मजबूर होकर अन्ना समर्थकों से चर्चा करनी पडी। नर्मदा बचाओं आंदोलन की नेत्री मेघा पाटकर और विधायक डॉ0सुनीलम की अगुवाई में 23अगस्त को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान काफी तादाद में दलित और आदिवासी वर्ग मौजूद था। कुल मिलाकर अन्ना हजारे के समर्थकों का जुनून थम नहीं रहा है,जो कि लगातार फैलता ही जा रहा है,इससे साफ जाहिर है कि मध्यप्रदेश में भी लोग भ्रष्टाचार से कभी खिन्न है और वे अन्ना की अलख में कदमताल कर रहे है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
EXCILENT BLOG