रविवार, 27 अक्तूबर 2013

शिक्षा पर माफिया हावी मध्‍यप्रदेश में

        पिछड़ापन के दाग से जैसे-तैसे बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा मध्‍यप्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में माफिया के चंगुल में जा फंसा है। इसके फलस्‍वरूप शिक्षा व्‍यवस्‍था पूरी तरह से तार-तार हो गई है। न सिर्फ उच्‍च शिक्षा ध्‍वस्‍त हुई है, बल्कि स्‍कूली शिक्षा के तो हाल-बेहाल हैं। कुकरमुत्‍ते की तरह स्‍कूलों और कॉलेजों की बाढ़ आ गई है, जो कि शिक्षा का सौदा खुलेआम कर रहे हैं। दलालों ने अपनी पैठ शिक्षा के मंदिरों में बना ली है। यही वजह है कि शिक्षा के क्षेत्र में माफिया तेजी से पैर जमा चुका है। पिछले एक साल में तो शिक्षा का माफिया अखबारों की सुर्खियां बन गया है। 2003 से लेकर 2013 के बीच शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन के दावे तो बड़े-बड़े किये गये, लेकिन माफिया और चांदी के सिक्‍कों ने उन दावों और सपनों को चकनाचूर कर दिया, जो कि शिक्षा व्‍यवस्‍था में सुधार की तरफ एक कदम आगे बढ़ा था। इस कालखंड में ही मुन्‍ना भाईयों की मंडी मप्र में बनी। उसके बाद तो फर्जी टाईपिंग परीक्षा, ओपेन परीक्षा और बीडीएस घोटाला सामने आया है। पीएमटी के फर्जीवाड़े ने तो व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल (व्‍यापमं) की भूमिका पर ही सवाल खड़े कर दिये। शिक्षा व्‍यवस्‍था में जो भी गड़बडिया़ सामने आई हैं, वे सब राज्‍य की पुलिस ने उजागर की है और उसमें माफिया की परते खोली हैं। 
कलंकित हुई शिक्षा :
        प्रदेश की उच्‍च शिक्षा और स्‍कूली शिक्षा बुरी तरह से कलंकित हो गई है। ऐसा कोई वर्ष नहीं गुजरता है, जब शिक्षा व्‍यवस्‍था पर दाग न लगते हों। इंजीनियरिंग और मेडीकल डिग्रियों का तो कारोबार खूब फल-फूल रहा है। मध्‍यप्रदेश में शिक्षा व्‍यवस्‍था सुधार की दृष्टि से न तो शिक्षाविदों ने गंभीरता दिखाई और न ही राजनेता सक्रिय नजर आये, बल्कि जो व्‍यवस्‍था थी वह भी लगातार तार-तार होती गई। 1990 के दशक में शिक्षा व्‍यवस्‍था निजी हाथों में सौंपे जाने को लेकर जो सि‍लसिला शुरू हुआ, तो 2013 तक आते-आते शिक्षा व्‍यवस्‍था पूरी तरह से व्‍यापारियों के हाथों में चली गई। आज प्रदेश के महानगरों और शहरों तथा कस्‍बों में भी प्राइवेट सेक्‍टर की शिक्षा व्‍यवस्‍था खूब फलफूल रही है। कॉलेज और स्‍कूलों की बाढ़ आ गई है। अब तो नये-नये विवि को मान्‍यताएं मिल रही हैं। भाजपा सरकार ने विवि खोलने की खुली आजादी देकर डिग्रियों का कारोबार को और विस्‍तार दे दिया है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्‍च शिक्षा के बार-बार कल‍ंकित होने से राजनेता तो शर्मसार हैं ही, लेकिन शिक्षाविद अभी भी नींद से जागे नहीं हैं, वह थीसिस के जरिये शिक्षा में परिवर्तन के बहुत सारे सुझाव दे रहे हैं, लेकिन उन्‍हें जमीन पर उतारने की दिशा में कोई काम नहीं किया गया है। यही वजह है कि प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्‍च शिक्षा की राह में कांटे ही कांटे बिछे हुए हैं। राज्‍य के विवि की हालत तो इस कदर बुरी हो गई हैं, कि समय पर परीक्षाएं नहीं हो रही हैं और न ही समय पर परिणाम घोषित हो रहे हैं और हर साल घोटाले पर घोटाले सामने आ रहे हैं। ऐसा कोई विवि राज्‍य में बाकी नहीं है, जिस पर दाग न लगे हों। इसके बाद भी शिक्षा में सुधार की गुंजाईश दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। 
पीएमटी फर्जीवाड़ा और उनके सौदागर : 
       मध्‍यप्रदेश में 2010-11 के बीच एक घटना ने लोगों के दिल और दिमाग को हिलाकर रख दिया था। यह घटना मेडीकल सेक्‍टर की थी। जबलपुर स्थित मेडीकल विवि में एक ऐसा गिरोह सामने आया था, जिसमें यह कहा गया था कि जो छात्रा शरीर सौंपेगी उसे डिग्री मिलेगी। इस प्रसंग के उजागर होने के बाद खूब हल्‍ला मचा, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते इस मामले को दबा दिया गया। इसी प्रकार 2013 में मेडीकल सेक्‍टर में ही पीएमटी का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस घोटाले में मुन्‍ना भाईयों की मंडी बनाकर मध्‍यप्रदेश रह गया है। इस फर्जीवाड़े में व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल के अधिकांश अफसर गले-गले तक फंसे हुए हैं और वे सब निलंबित हो गये हैं और जेल की सीक्षो के पीछे हैं। दिलचस्‍प यह है कि इस घोटाले में राजनेताओं के नाम भी शामिल होने के संकेत मिले हैं, लेकिन अभी तक एसटीएफ ने ऐसे कोई तथ्‍य उजागर नहीं किए हैं। व्‍यापमं के जो अधिकारी पीएमटी फर्जीवाड़े में शामिल थे, उनमें नितिन महिन्‍द्रा मुख्‍य विश्‍लेषक, सीके मिश्रा परीक्षा प्रभारी, अजय सेन सीनियर विश्‍लेषक और व्‍यापमं के नियंत्रक पंकज त्रिवेदी शामिल हैं। इस पीएमटी फर्जीवाड़े को बाहर से जो गिरोह ऑपरेट कर रहा था उसमें फर्जीवाड़े का मास्‍टर माइंड डॉ0 सागर था और इसका सरगना संजीव शिल्‍पकार थे। फिलहाल तो 84 पीएमटी की सीटें निरस्‍त कर दी हैं। इस घोटाले ने प्रदेश की पूरी शिक्षा व्‍यवस्‍था को आईना दिखा दिया है। इसी प्रकार डीमेट घोटाले भी विवादों के घेरे में हैं। बरकतउल्‍ला विवि का बीडीएस घोटाला भी सुर्खियों में छाया हुआ है। इस मामले की भी जांच गहराई से हो रही है। 
अन्‍य फर्जीवाड़े : 
       पीएमटी फर्जीवाड़े के अलावा अन्‍य घोटाले भी समय-समय पर सामने आये हैं। हाल ही में ओपन परीक्षा का फर्जी मार्कशीट घोटाला सामने आया है। यह मामला 18 अक्‍टूबर को उजागर हुआ और राज्‍य ओपन से जुड़े अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है। राज्‍य ओपन संचालक और परीक्षा नियंत्रक को निलंबित किया जा चुका है। इसी प्रकार  टाईपिंग परीक्षा घोटाला भी सामने आ चुका है। 
        दुखद पहलू यह है कि मप्र में शिक्षा व्‍यवस्‍था धीरे-धीरे माफिया के चक्रव्‍यूह में जाकर फंस गई है। इसे बाहर निकालने के लिए कई स्‍तर पर प्रयास किये जाने चाहिए, तब कहीं जाकर जो शिक्षा व्‍यवस्‍था पर कलंक लग गया है अन्‍यथा धीरे-धीरे प्रदेश की जो पीढ़ी तैयार हो रही है उसका भविष्‍य चौपट होना तय है। 
                                 ''मध्‍यप्रदेश की जय हो''
 

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