यूं तो मध्यप्रदेश में अपराधों का ग्राफ हर दिन बढ़ रहा है। कभी इस राज्य को शांत का टापू कहा जाता था, लेकिन अब अपराधों की दुनिया जिस तरह से फैल रही है उससे लग रहा है कि अब शांति का मिथक टूट रहा है। ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब राज्य में बड़े-बड़े अपराध गठित न होते हों। राज्य की राजधानी भोपाल में तो दिन-दहाड़े जिस तरह से अपराधियों के हौंसले बढ़ गये हैं उससे पूरा शहर सहम गया है। 01 दिसंबर, 2012 को दिन दहाड़े बिजली ऑफिस में घुसकर चाकू से महिला क्लर्क मीरा आहूजा पर प्राण घातक हमला किया गया। महिला कैश काउंटर पर अकेली थी और वह बिजली के बिल जमा कर रही थी कि अचानक एक युवक ने चाकू से हमला बोलकर दो लाख रूपये लूटकर फरार हो गया। महिला की हिम्मत देखिएं कि चाकू लगने के बाद भी महिला ने अपने घाव पर रूमाल बांधकर हमलावार को पकड़ने की कोशिश भी की, लेकिन थोड़ी दूर जाकर वह महिला गिर पड़ी। इस पूरी घटनाक्रम का दुखद पहलू यह है कि राजधानी के दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुने गये विधायक उमाशंकर गुप्ता वर्तमान में गृह मंत्री हैं और उनकी पत्नी श्रीमती राधा गुप्ता भी बिजली महासंघ की उपाध्यक्ष हैं। वह स्वयं भी दीपावली के पहले सीएमडी को बिजली कार्यालयों में सुरक्षा की बात बता चुकी है, इसके बाद भी न तो बिजली कंपनियों ने इस तरफ ध्यान दिया और न ही गृह विभाग की नींद खुली और अंतत: एक बिजली कंपनी कार्यालय में कार्यरत महिला कर्मचारी की मौत हो गई। जिस कार्यालय में यह हादसा हुआ उससे कोहेफिजा थाना महज 200 मीटर दूर था। इसके बाद भी पुलिस देर से पहुंची और लोगों ने जमकर हंगामा मचाया। गुस्से से भरे लोगों ने सड़क पर जाम कर दिया। जिस महिला की मौत हुई है उसके पति की मौत 25 साल पहले हो चुकी है और घर में उसके कंधे पर बुजुर्ग ससुर, मानसिक संतुलन खो चुकी ननद एवं एक बेटे की जिम्मेदारी थी। इन सबके बाद भी वह अपनी ड्यूटी पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी से कर रही थी। मीरा आहूजा कई बार अफसरों से कह चुकी थी कि उसे कैश काउंटर से मुक्त किया जाये, लेकिन उसकी बात किसी ने नहीं सुनी और अंतत: उसकी हत्या हो गई। राजधानी में बिजली कंपनियों के कैश काउंटर कार्यालयों में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, जहां पर लाखों रूपये के बिल रोजाना जमा होते हैं। इसके बाद भी बिजली कंपनियों ने इस दिशा में सोचा तक नहीं। यह समझ से परे है कि आखिरकार लाखों रूपये का कैश रोजाना आने के बाद भी कंपनियां सुरक्षा के पहलू पर गौर क्यों नहीं कर पाई।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अपराधों का होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन गंभीर अपराध निश्चित रूप से लोगों के दिलों को दहला रहा है। आज से दो महीने पहले दिन दहाड़े किसी भी महिला के गले से सोने के मंगलसूत्र और चैन छीनने का सिलसिला खूब चला। इसके बाद रात्रि में डकैतियों का दौर शुरू हुआ। पेट्रोल पंप लूटे गये, अब दिन दहाड़े घरों में चोरियां हो रही हैं, हत्याएं तो आम बात हो गई हैं। राजधानी में बढ़ते अपराधों का यह हाल है, तो फिर आसानी से समझा जा सकता है कि प्रदेश में क्या स्थिति होगी। गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता लगातार एक ही बात कह रहे हैं कि उनके पास बल की बेहद कमी है। यहां तक कि शहरों की आबादी बढ़ रही है उसके हिसाब से सुरक्षा बल नाखाफी है, तो यह समझा जाये कि पुलिस अपराध रोकने में अपने आपको असहाय महसूस कर रही है, क्योंकि पुलिस का खौफ राजधानी से गायब हो चुका है। मुख्यमंत्री बार-बार कह चुके हैं कि पुलिस का खौफ कायम किया जाये, लेकिन तब भी पुलिस व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है और राजधानी अपराधियों के चंगुल में दिनोंदिन फंसती जा रही है।
''एमपी की जय हो ''
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