"MPRAAG"RAJESH DUBEY JOURNALIST
''यह ब्लॉग मध्य प्रदेश की पहचान के लिए समर्पित है'' ......
बुधवार, 5 जून 2013
गुजरात से एक कदम आगे बढ़े मध्यप्रदेश
विकास में कौन-सा राज्य अव्वल है और कौन पीछे हैं ऐसी रैटिंग का कार्य विभिन्न एजेंसियां समय-समय पर करती रहती हैं। यह सच है कि मध्यप्रदेश अपनी स्थापनाकाल से लगातार विकसित राज्य की श्रेणी में नहीं आ पाया, लेकिन सन 2000 के बाद से प्रदेश विकास की राह पर तेजी से दौड़ा है। इसके बाद तो 2005-06 में राज्य ने विकास के नये सौपान गढ़े हैं। यह सिलसिला अब तेजी से बढ़ चुका है। यह शुभ संकेत है कि राज्य का मुखिया ही अब अन्य प्रदेशों से विकास में प्रदेश को ऊंचाई पर ले जाने के सपने देख रहा है। निश्चित रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के विकास को लेकर नित-प्रति विकास के सपने गढ़े हैं और वे यह कहने में संकोच नहीं करते हें कि मध्यप्रदेश को विकसित करना ही उनका जुनून है और इसके विकास के लिए वे हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इस जुनून का ही परिणाम है कि आज मध्यप्रदेश बिजली के क्षेत्र में धीरे-धीरे आत्मनिर्भर हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं माना है कि बिजली के मामले में हम गुजरात से ज्यादा बिजली हम आम आदमी को दे रहे हैं। सतना में 4 जून को अटल ज्योति अभियान का शुभारंभ करते हुए श्री चौहान ने कहा कि गुजरात के किसानों को आठ घंटे बिजली मिल रही है और हम यहां दस घंटे बिजली दे रहे हैं। आने वाले समय में मध्यप्रदेश गुजरात से कहीं आगे निकल जायेगा। इस बयान से साफ जाहिर है कि अभी भी शिवराज के मन में यह कसक है कि मध्यप्रदेश को तो हर क्षेत्र में आगे आना ही है। हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने ग्वालियर में भाजपा के महासभागम में शिवराज को मोदी से श्रेष्ठ बताया था, जिसके बाद पार्टी में बड़ी अंतरकलह मची थी। आडवाणी का यह कहना कि गुजरात तो स्वस्थ था और चमत्कार तो मध्यप्रदेश में हुआ है। उन्होंने कहा कि गुजरात और मध्यप्रदेश में एक बड़ा अंतर यह रहा है कि गुजरात पहले से स्वस्थ था और मोदी ने उसे स्वस्थ से उत्कृष्ट बना दिया, लेकिन मध्यप्रदेश बेहद बीमारू और पिछड़ा राज्य था और शिवराज ने इसे स्वस्थ बनाया। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होने कहा कि आने वाले समय में भारत के नंबर एक विकसित राज्यों में मध्यप्रदेश होगा। यह उनका सपना है। निश्चित रूप से मप्र विकास के पहिए में तेजी से आगे बढ़ा है। आडवाणी के बाद अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने भी मुख्यमंत्री चौहान को सर्वगुण सम्पन्न नेता बताया है। उनमें अहंकार नाम की कोई चीज नहीं है। मुख्यमंत्री चौहान की इस प्रशंसा के चलते भाजपा में जबर्दस्त विवाद खड़ा हो गया है। गुजरात के मुख्यमंत्री बेहद खफा हो गये हैं और उन्होंने मप्र के मुख्यमंत्री के तारीफ पर राजनाथ सिंह को शिकायत तक कर दी है। इसके बाद तो बयान पर सफाई का दौर शुरू हुआ। सबसे पहले 4 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मोदी नंबर वन, रमन सिंह नंबर-टू और मैं तो तीसरे नंबर पर हूं। उन्होंने कहा कि मोदी मुझसे वरिष्ठ हैं बड़े भाई हैं, रमन सिंह भी मुझसे वरिष्ठ हैं। नंबर एक या नंबर दो तो छोडि़ए मैं तो तीसरे नंबर पर आता हूं। इस बयान के बाद भाजपा में जो तूफान आया है वह थमा नहीं है, क्योंकि आडवाणी के बयान के बाद अब सुषमा स्वराज ने भी जो तारीफ की है वह अपने आप में उल्लेखनीय है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने भी दूसरे दिन ही साफ कर दिया है कि मध्यप्रदेश बिजली के मामले में गुजरात से आगे हैं। इससे साफ जाहिर है कि विवाद आगे तू पकड़ने वाला है। कुल मिलाकर मप्र के विकास पर बहस होना चाहिए, लेकिन विवाद से बचने की कोशिश करना चाहिए, अन्यथा विवाद भविष्य में संकट में ही डालते हैं।
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