यह समझ से परे है कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्रीगण अपने प्रभार के जिलों में दौरा करने से क्या कतराते है। बार-बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ताकीद करते हैं कि वह जिलों का दौरा कर लोगों से संवाद करें और योजनाओं का फीड बैक लें। इसके बाद भी मंत्रीगण अपने प्रभार के जिलों में जा नहीं रहे हैं। अब तो मुख्यमंत्री ने आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों को प्रभार का जिला भी पसंदीदा दिया है, लेकिन मंत्री हैं कि उनके निर्देश का पालन करने को तैयार नहीं है। मंत्रियों के दौरे को लेकर पहली बार बातें नहीं हो रही है, बल्कि वर्ष 2011 गुजरने में अब मात्र 10 दिन बाकी है, मगर सालभर में कई बार मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को दौरे करने पर जोर दिया, पर मंत्री हैं कि सुनते हीं नहीं है। यहां तक कि भाजपा कार्यसमिति में भी कई बार यह बात उठ चुकी है कि मंत्री प्रभार के जिलों में नहीं जाते हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा भी मंत्रियों को लताड़ चुके हैं कि वे दौरा करें, लेकिन तब भी मंत्री दौरा पर नहीं निकल रहे हैं। अब तो सीएम ने 20 दिसंबर को मंत्रि परिषद की औपचारिक बैठक में यह तक कह दिया कि अफसर उन्हें प्रभार के जिले में सीएम की तरह ही तवज्जो देंगे। मंत्रियों से कहा गया है कि वे मासिक रिपोर्ट अपने दौरे की दें और उन्हें जो ज्ञापन मिलेंगे उसकी समीक्षा के लिए एक एडीशनल कलेक्टर को पाबंद किया जायेगा, ताकि जब अगली बार मंत्री जी जाये तो उन्हें पिछले दौरे के अमल की स्थिति का पता लग सके। आश्चर्यजनक किन्तु यह सत्य है कि मप्र सरकार के मंत्रियों पर उनकी कार्यशैली पर समय-समय सवाल उठते रहते हैं पूरी सरकार के मंत्रियों में दो या तीन मंत्री राजधानी में सक्रिय नजर आते हैं, जो कि नियमित तौर पर मंत्रालय में जाकर फाइले निपटाते हैं, जबकि मंत्रियों को निर्देश हैं कि वे दो दिन मंत्रालय को दें, लेकिन तब भी मंत्री मंत्रालय कम आते हैं और सारी फाइले बंगले पर बुलवाते हैं। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि मंत्री मंत्रालय नजर आते नहीं है तथा प्रभार के जिलों में पहुंचते नहीं है, अपने विधानसभा क्षेत्र में दिखते नहीं है, भोपाल में बंगले पर मिलते नहीं है, तब यह मंत्री आखिरकार जाते कहा है, यह सवाल आम भाजपा का कार्यकर्ता भी समय-समय पर करता रहता है। मंत्री हैं कि अपने अंदाज में काम कर रहे हैं। हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा में आये अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्ष के नेता अजय सिंह ने आधा दर्जन मंत्रियों पर तीखे आरोप लगाये है, जिसमें नागेंद्र सिंह, उमाशंकर गुप्ता, गौरीशंकर बिसेन, राजेंद्र शुल्क आदि शामिल हैं, वही दूसरी ओर लोकायुक्त पीपी नावलेकर भी बार-बार कह रहे हैं कि वे 13 मंत्रियों के शिकायत की जांच कर रहे है, जबकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मंत्रियों की जांच लोकायुक्त में नहीं हो पा रही है। कुल मिलाकर शिवराज सरकार के मंत्रियों की भूमिका पर निशाने साधे जा रहे हैं। इस बीच ही मंत्रि परिषद विस्तार की हवा भी बह रही है। अब देखे आगे क्या होगा यह तो भविष्य ही बतायेगा, लेकिन शिवराज सरकार के मंत्रियों को अपनी कार्यशैली सुधारने की आवश्यकता तो संगठन और सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं, लेकिन इसके लिए मंत्री कितने तैयार है यह भी तो मालूम नहीं ।
पहल-वर्ष 2016 में दौड़ेगी मेट्रो :

निर्णय - पांच नक्सलियों को उम्र कैद :

सार्थक कदम - अटलजी की याद :

विरोध - अवैध खदान का मामला दिल्ली पहुंचा :
thanks achha laga sath me pradesh ka samachar mila ..
जवाब देंहटाएं